कई शोधों और अध्ययन ने यह साबित किया कि योग Indian Civilization के मूल में बसा हुआ है. Yoga के जरिए ही विदेशी भारतीय सभ्यता से परिचित होने लगे. उन्होंने जाना कि ऋषि-मुनि कैसे योग करके खुद को स्वस्थ और दीघार्यु रखा करते थे.
नरेंद्र मोदी जब भारत के प्रधानमंत्री बने तो 27 सितंबर 2014 को संयुक्त राष्ट्र के अपने भाषण में उन्होंने 21 जून को योगा दिवस के रुप में मनाने की बात कही. 11 दिसंबर 2014 को संयुक्त राष्ट्र में 193 सदस्यों ने 21 जून को अंतराष्ट्रीय योग दिवस को मनाने के प्रस्ताव को मंजूरी दी.

पहला अंतरराष्ट्रीय योग दिवस 21 जून 2015 को मनाया गया. यह पहला ऐसा मौका था जब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर योग को इस तरह की मान्यता मिली थी. हालांकि इससे पहले 1893 में विश्व धर्म सभा में स्वामी विवेकानंद ने अपने भाषण में योग से अमेरिका का परिचय करा दिया था.
उसके बाद कई योग गुरुओं ने दुनियाभर में Yoga का प्रचार किया. दुनियाभर में योग पर कई शोध और अध्ययन हुए और इसे वैज्ञानिक मान्यता मिलने लगी.
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योग Indian Civilization में रचा-बसा है. योग जानकारों के मुताबिक भारत में Yoga की उत्पति करीब 5000 हजार साल पहले हुई. योग सभ्यता का अंग रहा. उपनिषद, वेदों और भगवत गीता में भी योग का उल्लेख मिलता है.

मोहनजोदड़ो सभ्यता की कुछ ऐसे मोहरें पाई गई हैं जिसमें अपने सिर के बल पर खड़े एक चित्र को दिखाया गया है. 1920 में सिंधु-सरस्वती सभ्यता की खोज में योग की परंपरा के पुख्ता सबूत मिले हैं.
योग हिंदू धर्म के छह दर्शनों में से एक है. इसलिए ऋषि-मुनि योग और तप-साधना को अपनाते थे क्योंकि यह एक ऐसी चिकित्सा और आध्यात्मिक पद्धति है जो मन-मस्तिष्क और शरीर को स्वस्थ रखता है.

योग गुरुओं ने यह साबित किया है कि योगाभ्यास से लोगों में धैर्य और संयम विकसित होता है और विपरीत परिस्थितियों में भी हालात से निबटने की चुनौती को स्वीकार करने की क्षमता बढ़ती है.
स्वामी सत्यानंद सरस्वती ने अपनी पुस्तक ‘आसान-प्राणायम’ में बताया कि योग कोई मिथक नहीं है, यह वर्तमान समय की सबसे अमूल्य विरासत है. भारत के आध्यात्मिक विरासत के रुप में दुनियाभर में योग का प्रचार-प्रसार किया गया जिससे कि दुनियाभर को विकास और शांति की दिशा में जोड़ा जा सके और विश्व में शांति की स्थापना हो.
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योग भारत से शुरु हुआ लेकिन आज पूरा विश्व इसके महत्व और वैज्ञानिकता को मानता है. कई देशों में 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाए जाने की घोषणा से पहले ही योग को एक महत्वपूर्ण चिकित्सा पद्धति के रुप में मान्यता मिल गई थी विदेशी भी योग को अपनाने लगे थे. कई बार वे भारत आकर योग पद्धति को जानने की कोशिश करते हैं.
हमारी इस आध्यात्मिक विरासत को दुनियाभर में और फैलाने के लिए विश्व स्वास्थय संगठन (डब्लूएचओ) ने दिल्ली के Morarji Desai National Institute of Yoga को योग की पढ़ाई के रिसर्च करने के लिए अपने सहयोग केंद्र (सीसी) के रुप में नामित किया है.

आज पूरी दुनिया भारतीय योग के रंग में रंगी हुई है. अमेरिका, चीन, जापान, दक्षिण अफ्रीका समेत कई देशों में योग को अपनाया जाने लगा है. यह भारतीय सभ्यता और संस्कृति का ही असर है कि दुनिया में योग को बहुत आदर के साथ मान्यता मिली है.
चीन में तो योग तेजी से लोकप्रिय हुआ है. चीन योग की तुलना अपने मार्शल आर्ट से करता है. पिछले तीन सालों में दुनियाभर में योग की प्रसिद्धि कुछ इस तरह फैली है इसे स्वस्थ मन और शरीर रखने के एक आंदोलन के रुप में देखा जाने लगा है.
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