एक बार एक आदमी रेगिस्तान में कहीं भटक गया. उसके पास खाने-पीने की जो थोड़ी बहुत चीजें थीं, वो जल्द ही ख़त्म हो गयीं और अब वो पानी की एक-एक बूंद के लिए तरस रहा था. वह मन ही मन जान चुका था कि अगले कुछ घंटों में अगर उसे कहीं से पानी नहीं मिला तो उसकी मौत निश्चित है, पर कहीं न कहीं उसे ईश्वर पर यकीन था कि कुछ चमत्कार होगा और उसे पानी मिल जाएगा.
तभी उसे थोड़ी दूर पर एक झोपड़ी दिखाई दी. उसे अपनी आंखों पर यकीन नहीं हुआ. पहले भी वह मृगतृष्णा और भ्रम के कारण धोखा खा चुका था, लेकिन यकीन करने के अलावा कोई चारा भी तो न था. आखिर यह उसकी आखिरी उम्मीद जो थी. वह अपनी बची-खुची ताकत से झोपड़ी की तरफ चलने लगा. जैसे-जैसे करीब पहुंचता, उसकी उम्मीद बढ़ती जाती और इस बार भाग्य भी उसके साथ था. सचमुच वहां एक झोपड़ी थी लेकिन वह तो वीरान पड़ी थी. मानो सालों से कोई वहां भटका न हो. फिर भी पानी की उम्मीद में वो झोपड़ी के अन्दर घुसा.
अन्दर का नजारा देख उसे अपनी आंखों पर यकीन नहीं हुआ. वहां एक हैण्ड पम्प लगा था. वो एक नयी उर्जा से भर गया. पानी की एक-एक बूंद के लिए तरसता वह तेजी से हैण्ड पम्प को चलाने लगा, लेकिन हैण्ड पम्प तो कब का सूख चुका था. वो निराश हो गया, उसे लगा कि अब उसे मरने से कोई नहीं बचा सकता. वह निढाल होकर गिर पड़ा.
तभी उसे झोँपड़ी की छत से बंधी पानी से भरी एक बोतल दिखाई दी. वह किसी तरह उसकी तरफ लपका और उसे खोलकर पीने ही वाला था कि तभी उसे बोतल से चिपका एक कागज़ दिखा उस पर लिखा था- “इस पानी का इस्तेमाल हैण्ड पम्प चलाने के लिए करो और वापिस बोतल भरकर रखना ना भूलना ?”
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वो असमंजस में पड़ गया, उसे समझ नहीं आ रहा था कि वह पानी पीये या उसे हैण्ड पम्प में डालकर चालू करे. उसके मन में बहुत से सवाल उठने लगे, अगर पानी डालने पर भी पम्प नहीं चला. अगर यहां लिखी बात झूठी हुई और क्या पता जमीन के नीचे का पानी भी सूख चुका हो, लेकिन क्या पता पम्प चल ही पड़े, क्या पता यहां लिखी बात सच हो, वह समझ नहीं पा रहा था कि क्या करे ?
फिर कुछ सोचने के बाद उसने बोतल खोली और कांपते हाथों से पानी पम्प में डालने लगा. पानी डालकर उसने भगवान से प्रार्थना की और पम्प चलाने लगा. कुछ ही देर बाद हैण्ड पम्प से ठण्डा-ठण्डा पानी निकलने लगा.
वह पानी किसी अमृत से कम नहीं था. उसने जी भरकर पानी पिया, उसकी जान में जान आ गयी. दिमाग काम करने लगा. उसने बोतल में फिर से पानी भर दिया और उसे छत से बांध दिया. जब वो ऐसा कर रहा था, तभी उसे अपने सामने एक और शीशे की बोतल दिखी. खोला तो उसमें एक पेंसिल और एक नक्शा पड़ा हुआ था, जिसमें रेगिस्तान से निकलने का रास्ता था
उसने रास्ता याद कर लिया और नक़्शे वाली बोतल को वापस वहीं रख दिया. इसके बाद उसने अपनी बोतलों में पानी भरकर वहां से जाने लगा. कुछ आगे बढ़कर उसने एक बार पीछे मुड़कर देखा. कुछ सोचकर वापिस उस झोपड़ी में गया और पानी से भरी बोतल पर चिपके कागज़ को उतारकर उस पर कुछ लिखने लगा .
उसने लिखा -“मेरा यकीन करिए यह हैण्ड पम्प काम करता है.