आजकल अलंकृता श्रीवास्तव की फ़िल्म लिपस्टिक अंडर माई बुर्का और उसमें महिलाओं के सेक्सुअल डिजायर्स को लेकर काफी चर्चा हो रही है. मैंने दिल्ली के एक फेमस और माडर्न माने जाने वाले कॉलेज से ग्रेजुएशन किया और आजकल पीजी कर रही हूं. दिल्ली की और लड़कियों की तरह मेरा भी ब्वायफ्रेंड है. उससे मिलने डेट पर जाना था, तभी उसका फोन आया कि यार, मेरे पास कंडोम के पैकेट्स ख़त्म हो गए हैं तो मैं बाज़ार से लेकर लौटता हूं.
मैंने उससे कहा कि तुम रूम से क्यों निकलते हो, मैं बाज़ार में मेडिकल स्टोर्स से लेते हुए आ जाऊंगी. उसकी आवाज़ में थोड़ा सरप्राइज था-पूछा, आर यू श्योर, तुम कर लोगी? मैंने कहा, हां, हां, इसमें क्या है, इट्स नॉट ए बिग डील. मैंने सोचा कंडोम खरीदने में कौन सा मुश्किल काम है सो हां, कर दिया .
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जब मेडिकल स्टोर पर पहुंच कर एक पैकेट मांगा तो उसकी निगाहें सवालों और हैरत से भरी थी. साथ में खड़े एक अंकल कस्टमर के हाथ से तो दवा का पैकेट गिरते-गिरते बचा. दुकानदार ने एक पैकेट दिखाया, वो मुझे नहीं चाहिए था, मैंने दूसरे के बारे में बोला, तो लगा कि उसे मेरे कैरेक्टरलेस होने में अब कोई शक नहीं रह गया है. उसने शो केस टेबल की ओर इशारा करते हुए कहा–देख लीजिए. कौन सा चाहिए, शो केस में कंडोम से ज़्यादा मर्दाना कमजोरी दूर करने वाली ताकत की दवाइयां के पैकेट और शीशियां रखी थी.
मुझे हंसी भी आ गई ..लड़कियों को कमज़ोर बताने वाली सोसायटी में सिर्फ मर्दाना कमजोरी दूर करने की दवाइयां.. मेरे इशारे पर पैकेट ऐसे निकाला मानो वो कोई चोरी कर रहा हो. पैसे बताने लगा तो मैंने उससे एक लुब्रिकेंट मांगा. उसे अब लग गया कि मैं बेशर्म हूं. उसने दिखाए तो एक का फ्लेवर मुझे पसंद नहीं था और दूसरी क्रीम से जलन महसूस होती थी, तीन चार रिजेक्ट करने के बाद जब पांचवी के लिए हामी भरी तो मानो उसकी सांस में सांस आई.
चलते-चलते मैंने सेनेटरी नेपकिन्स का पैकेट भी माग लिया तो उसने तुरंत लड़के को बोल कर पीछे से मंगाया तो 13-14 साल का लड़का प्लास्टिक की काली थैली में बंद करके ले आया. पैसे देकर बाहर निकली तो वो अंकल अपने कुछ फ्रेंड्स के साथ थोड़ी दूर पर खड़े बतिया रहे थे. जाहिर है बता रहे होंगें मेरे कैरेक्टर के बारे में.
स्कूटी को स्टार्ट कर चलते-चलते सोचने लगी कि क्या औरतों के लिए नहीं होता सेक्स, फिर मर्द किसके साथ करते हैं या फिर औरतें या लड़कियां अपनी डिजायर नहीं बता सकतीं. सिर्फ जब लड़का, ब्वायफ्रेंड या पति चाहे तब ही. लगा सेंसर बोर्ड में बैठे ज़्यादातर लोग भी तो वो ही सोचते हैं.
..ब्वायफ्रेंड से मिलने का मूड ही खराब कर दिया …(गाली लिखूं क्या, जो मन में आई है).
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