डॉ कायनात क़ाज़ी:
दोस्तों जब भी मुहब्बत का जिक्र होता है तो प्यार करने वाले ताजमहल का जिक्र छेड़ ही देते हैं. हर मुहब्बत करने वाले एक बार ताजमहल के दीदार जरुर करना चाहता है. आप भी यदि अपने एजहार-ए मुहब्बत के लिए ताजमहल देखने जा रहे हों तो पूरी इमारत को ध्यान से देखिएगा. मुहब्बत की बेमिसाल धरोहर माने गए इस ताजमहल का पूरा परिसर इतना खूबसूरत है कि आप अपने दिल की बात कहने से खुद को रोक नहीं पाएंगे. हम बताते हैं कि ताजमहल में और क्या है खास…
वास्तुकला
ताज महल मुगल साम्राज्य की वास्तुकला का उत्कृष्ट नमूना है. इसकी वास्तु शैली फारसी, तुर्क, भारतीय एवं इस्लामिक वास्तुकला के घटकों का अनोखा मेल है. मुग़ल मध्य एशिया से भारत आए थे और वह जहां- जहां से गुज़रे उन स्थानों की वास्तुकला को खुल कर अपनाया. इसीलिए मुग़ल वास्तुकला इस्लामिक वास्तु शैली तुर्की, फ़ारसी व भारतीय राजपुताना वास्तु शैली का मिला जुला रूप है.
1983 में युनेस्को ने ताजमहल को विश्व धरोहर घोषित किया. इसके साथ ही इसे विश्व धरोहर के सबसे प्रशंसित और बेहद खुबसूरत मानवी कृतियों में से एक बताया गया. ताजमहल को भारत की इस्लामी कला का रत्न भी घोषित किया गया है.
चारबाग
ताज महल के परिसर में बने उद्यान पवित्र कुरान में वर्णित स्वर्ग (जन्नत) के स्वरुप से प्रेरणा लिए हुए हैं. पवित्र कुरान में जन्नत के बागों का ज़िक्र कुछ इसी तरह दिया गया है…खूबसूरत बाग जिनके बीच से साफ पानी की नहरें बह रही होंगी.
शाहजहां को बागों से बहुत मुहब्बत थी इसी लिए ताज महल के चारों ओर बाग बनवाए. यमुना नदी के उत्तरी छोर पर महताब बाग बनवाया. ताज महल को देखने के लिए लोग महताब बाग खास तौर पर जाते हैं.
मुख्य इमारत
ताज महल हुमायूं के मक़बरे के काफी बाद में बना था इसलिए इस इमारत के आधार मंज़िल दिल्ली स्थित हुमायूं के मक़बरे से प्रभावित है. एक वर्गाकार नींव की आधार शिला पर बना सफ़ेद संगमरमर का मकबरा ताज महल का केन्द्र बिंदु माना जाता है. इसका मूल-आधार एक विशाल बहु-कक्षीय संरचना है. यह प्रधान कक्ष घनाकार है, जिसका प्रत्येक किनारा लगभग 55 मीटर है.
ताज को जब भी देखो वो नया ही लगता है. यह दुनिया की सबसे ज़्यादा पहचानी जाने वाली इमारत है. इसे शाहजहां ने अपनी तीसरी पत्नी मुमताज महल की याद में बनवाया था. इसके सफ़ेद संगमरमर का गुम्बद वाला भाग इस इमारत का मुख्य परिचित भाग है. वहीं इसकी पूर्ण इमारत समूह बाग-बगीचों सहित 22.44 हेक्टेयर के दायरे में फैला है. इसका निर्माण आरंभ 1632 CE में (1041 हिजरी अनुसार) यमुना नदी के दक्षिणी किनारे पर हुआ. उस्ताद अहमद लाहौरी ताज महल के प्रधान वास्तुकार माने जाते हैं.
मकबरे पर सबसे ऊपर संगमरमर का गुम्बद बना हुआ है जो कि इसका सबसे शानदार भाग है. इसकी ऊंचाई लगभग इमारत के आधार के बराबर 35 मीटर है और यह एक 7 मीटर ऊंचे बेलनाकार आधार पर स्थित है. गुम्बद के आकार को और सुंन्दर दिखाने के लिए चार किनारों पर स्थित चार छोटी गुम्बदाकारी छतरियां बनाई गई है. मेन चबूतरे के चारों कोनों पर चार विशाल मीनारें है. हरेक मीनार 40 मीटर ऊंची है. यह मीनारें ताजमहल की बनावट को चारों दिशाओं से समानता का आभास प्रस्तुत करती हैं.
मस्जिद
यहां एक खूबसूरत मस्जिद भी है. मुगल वास्तुकला मे संतुलन को बहुत महत्व दिया गया है इसलिए बाईं ओर बनी मस्जिद को संतुलित करने के लिए दाई ओर भी एक मस्जिद बनाई गई है.
कब जाएं?
ताज महल देखने के लिए अक्टूबर से फ़रवरी तक का समय अच्छा माना जाता है.
कैसे पहुंचें?
आगरा रेल और सड़क मार्ग से जुड़ा हुआ है. किसी भी तरह जाएं आप आसानी से आगरा पहुंच सकते हैं.
फिर मिलेंगे दोस्तों, भारत दर्शन में किसी नए शहर की यात्रा पर…
तब तक खुश रहिये और घूमते रहिये.
(लेखिका ट्रैवलर, फोटोग्राफर और ब्लॉगर हैं)
Comments
comments