Workforce में महिलाओं की भागीदारी पुरुषों के समान हो जाए तो भारती की जीडीपी 27फीसदी बढ़ जाएगी. अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) की प्रमुख क्रिस्टिन लेगार्ड और नार्वे की प्रधानमंत्री एरना सोल्बर्ग ने एक साझा पत्र में यह बात कही है.
यह पत्र वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम का 48वां सम्मेलन शुरु होने से पहले जारी किया गया है. सम्मेलन में 70 देशों के प्रमुख राजनीति, बिजनेस, कला-संस्कृति और अकादमिक जगत की 3हजार शख्सियत हिस्सा ले रही हैं जिसमें 21फीसदी महिलाएं है.
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लेगार्द और सोल्बर्ग फोरम की कोर-चेयर है. इस साल की वार्षिक महिला सम्मेलन की अध्यक्षता कर रही हैं जो आज से शुरु हो रहा है. औपचारिक सत्र 23 से 26 जनवरी तक होंगे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आरंभिक और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप आखिरी सत्र को संबोधित करेंगे.

दोनों नेताओं ने दुनिया के सभी देशों से वर्ष 2018 को महिलाओं की कामयाबी का साल बनाने की वकालत की है.उन्होंने कहा कि दुनिया भर में महिलाओं के प्रति भेदभाव और हिंसा का समय अब लद चुका है. महिलाओं की भागीदारी बढ़े तो इसका असर चालू वित्त वर्ष से ही दिखने लगेगा.
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दोनों नेताओं ने कहा है कि Workforce में महिलाओं की भागीदारी पुरुषों के बराबर करने से जीडीपी को गति मिलेगी. ऐसा करना किसी भी देश के लिए चुनौती है, लेकिन यह एक ऐसा लक्ष्य है जिससे हर देश को फायदा होगा. अगर इसे पूरी तरह लागू किया जाए तो जापान की जीडीपी में 9फीसदी और भारत की जीडीपी को 27फीसदी का फायदा होगा.
पत्र में कहा गया है कि महिलाओं और लड़कियों को समान अवसर देना सही कदम और इसका असर समाज और अर्थव्यवस्था पर पड़ सकता है. शिक्षा और रोजगार में जेंडर गैप कम करने से निर्यात में विविधता आएगी. जेंडर असमानता घटने से आय में असमानता भी घटेगी और ग्रोथ स्थायी रहेगा.
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ध्यान देने वाली बात है कि 131 देशों की सूची में भारत का 120वां स्थान है. 2004-05 में देश में 37फीसदी महिला श्रम शक्ति थी. अभी कामकाजी महिलाओं की संख्या महज 27 फीसदी है. वर्कफोर्स में महिलाओं की संख्या में हिमाचल प्रदेश, सिक्किम, मेघालय, मिजोरम और छत्तीसगढ़ आगे है जबकि दिल्ली, बिहार, असम, हरियाणा और गुजरात पीछे है.
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