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women branded cloths
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प्रियंवदा सहाय:

वर्किंग वूमेन की बढ़ती संख्या और उनके ख़र्च करने की क्षमता ने देश में ब्रांडेड कपड़ों के बाज़ार को अच्छी खासी रफ़्तार दे दी है. महिलाओं के रोज़ बदलते फ़ैशन ट्रेंड से बाज़ार के विकास दर में काफ़ी तेज़ी आई है. उम्मीद जताई जा रही है कि अगले सात से आठ सालों में पुरूषों के फ़ैशनेबल कपड़ों के बाज़ार की तुलना में महिला ब्रांडेड परिधान बाज़ार कहीं आगे निकल जाएगा. खासतौर पर लड़कियों के एथनिक वियर और वेस्टर्न वियर कपड़ों को पहनने की चाहत ने देसी बाज़ार में विदेशी ब्रांडों की धूम मचा दी है.




ऐसा हम नहीं कह रहे बल्कि एवेंडस कैपिटल की रिपोर्ट कह रही है. इसके हालिया रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत में महिलाओं के ब्रांडेड कपड़ों का बाजार बढ़ रहा है.

इस बाजार के बढ़ने के कारण को कुछ इस तरह समझिए–

1-भारत में विदेशी ब्रांडेड कपड़ों की धूम है

2- महिलाओं के ख़र्च करने की क्षमता में इज़ाफ़ा हुआ है

3-  छूट और विशेष ऑफर देने का चलन बढ़ा है

4- सिलेसिलाए कपड़ों को पहनने का क्रेज़ बढ़ा है

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इन्हीं सब वजहों से महिलाओं के ब्रांडेड कपड़ों का बाज़ार 20 फ़ीसदी विकास दर से आगे बढ़ रहा है. रिपोर्ट में महिलाओं के कपड़े बाज़ार, उनके शापिंग बिहेवियर, ब्रांडेड कपड़ों का बढ़ता आकर्षण जैसे बिंदुओं की स्टडी की गई है.

जिसमें यह बताया गया है कि….




2015 में महिलाओं के कपड़ों का बाज़ार 1लाख करोड़ रूपए का था.

अब महिलाओं के कपड़ों का बिजनेस 11 फ़ीसदी की रफ़्तार से आगे बढ़ रहा है.

वहीं उनके ब्रांडेड कपड़ों के बिजनेस का विकास 20 फ़ीसदी सलाना है.

रिपोर्ट की माने तो कपड़ों के कुल कारोबार में महिला ब्रांडेड कपड़ों की हिस्सेदारी 4० फ़ीसदी की विकास दर के साथ है.




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हालांकि ब्रांडेड कपड़ों के बाज़ार को विस्तार देने में ऑनलाइन और डिजीटल शॉपिंग का भी काफ़ी योगदान है. वही सामाजिक बदलाव, पहनावे में नयापन लाने की ललक जैसे कारण भी इसमें अपनी काफ़ी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं. एवेंडस कैपिटल की निदेशक, (इंवेस्टमेंट बैंकिंग), आभा अग्रवाल का कहना है कि महिलाओं के परिधान बाज़ार को सीमलेस शॉपिंग और डिलेवरी के अनुभव से भी काफ़ी बल मिल रहा है. इन वजहों से भी बाज़ार का दायरा बढ़ा है. रिपोर्ट में यह बात भी सामने आती है कि महिलाओं के ब्रांडेड कपड़ों का 7० फ़ीसदी बाज़ार महज़ 10 शहरों के बीच ही सीमित है लेकिन आने वालों सालों में छोटे शहरों में भी इसकी खपत बढ़ेगी.

दिलचस्प यह भी है कि पारंपरिक साड़ियों की जगह महिलाएं एथनिक वियर और वेस्टर्न वियर को तवज्जो देने लगी हैं.यही वजह है कि देश में एथनिक वियर का विकास दर 11 फीसदी और वेस्टर्न वियर की बिक्री 17 फ़ीसदी विकास दर से आगे बढ़ रही है.