सुमन बाजपेयी:
“ तुम हमेशा Tension में क्यों रहती होॽ चीजों को लाइटली लेना सीखो. हर समस्या को सुलझाया जा सकता है, बस सही तरीका पता होना चाहिए और Tension नहीं करना चाहिए. ” पति के समझाने पर रीता आगबबूला हो उठी.
“ जब देखो तब ताने-उलाहने देते रहते हो, जैसे मुझमें तो अक्ल ही नहीं है. मैं सब की चिंता करती हूं, इसलिए Tension में रहती हूं. तुम यही चाहते हो कि मैं किसी की परवाह न करूं तो यही सही. आज के बाद कोई कुछ भी करे, मेरी बला से.” रीता पैर पटकती हुई दूसरे कमरे में चली गई.
केवल रीता ही नहीं, ऐसी असंख्य महिलाएं हैं जो हर समय किसी न किसी बात के कारण Tension में रहती हैं और उन्हें लगता है कि जैसे सारी परेशानियां उन्हीं के जीवन में हैं.
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इसके विपरीत पुरुषों में तनाव को अपने उपर हावी होने का प्रतिशत बहुत कम है. महिलाओं के जल्दी तनावग्रस्त हो जाने की वजह होता है किसी बात की तह में जाए बिना निष्कर्ष पर पहुंच जाना.
Tension तभी होता है जब सारे तथ्य पता न हों. तब अपने मन में व्यक्ति जो चाहे सोच लेता है और अकसर दुखी होता रहता है. अगर आप किसी बात से परेशान हैं तो उसके हर पहलू पर पहले गौर करें.
ऐसा क्यों हो रहा है और ऐसा होना क्यों अनिवार्य है, इस पर विश्लेषण करने के बाद ही रिएक्ट करेंगे तो टेंशन होगी ही नहीं. महिलाएं सेंसेटिव होती हैं, इसलिए छोटी-छोटी बातों को लेकर परेशान हो जाती हैं. लेकिन उनके तनाव की मुख्य वजह उनकी संवेदनशीलता से बढ़कर बहुत सी बातों के प्रति अवेयर्नेस न होना भी होता है.
ऐसे देशों में जहां महिलाओं और पुरुष को बराबरी का दर्जा दिया जाता है, वहां भी देखा गया है कि वे ज्यादा टेंशन लेती हैं. पुरुष चूंकि घर से बाहर अधिक रहते हैं और उन्हें हर तरह के लोगों से व्यवहार करना पड़ता है, अनेक तरह की स्थितियों का सामना करना पड़ता है, जिसकी वजह से उनकी सोच का दायरा विस्तृत हो जाता है.
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जितने अधिक वे दूसरों के संपर्क में आते हैं या विभिन्न जगहों पर जाते हैं, उतना ही अधिक उनका एक्सपोजर बढ़ता है. इस तरह उनको दूसरों की कार्यशैली का तो पता चलता ही साथ ही वे मूलभूत ढांचे से भी परिचित हो जाते हैं. इस वजह से जब कोई समस्या उनके सामने आ खड़ी होती है तो वे तुरंत अपनी जानकारी के आधार पर उसका समाधान ढूंढ लेते हैं.
वैसी महिलाएं जो ज्यादा घर से बाहर नहीं निकलतीं या कामकाजी नहीं है को उन्हें एक्सपोजर नहीं मिल पाता. यहां तक कि कामकाजी महिला भी अपने पारिवारिक दायित्वों के कारण अधिक समय घर पर ही बिताने को मजबूर होती है.

इससे उसकी सोच का दायरा विस्तृत नहीं हो पाता है. जबकि पुरुष घूमते हैं, नई चीजें सीखते है और नई तरह से चीजों को परखना भी सीखते हैं, इस तरह स्थितियों व घटनाओं का विश्लेषण वह सही ढंग से कर पाते हैं.
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औरतों के Tension में रहने की एक और अहम वजह उनका असुरक्षित महसूस करना भी है. घर के अंदर भी वे एक घेरे में रहते-रहते अपनी सीमा तय कर लेती हैं, जिससे जरा सा भी बाहर निकलने पर उनके अंदर असुरक्षा का भाव आ जाता है.
पुरुष घर से बाहर असुरक्षित माहौल में रहने के कारण उससे बाहर आने व विषम स्थितियों से बाहर निकलने का रास्ता भी ढूंढ लेते हैं. बाहर जोखिम है इसलिए वह सदैव अलर्ट रहते हैं.
टेंशन फ्री रहने के लिए महिलाओं को इस असुरक्षा के दायरे से बाहर आकर चीजों को जानने की कोशिश करनी होगी. कुछ क्यों हो रहा है या कोई ऐसा क्यों कर रहा है, उसकी तह में जाकर ही वे तनाव से बाहर आ सकती हैं. थोड़ी खुली सोच और ज्यादा एक्सपोजर ही उन्हें तनाव से बाहर निकाल सकता है.
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