कृष्ण का जन्म होता है अंधेरी रात में, अमावस में. सभी का जन्म अंधेरी रात में होता है और अमावस में होता है. असल में World की कोई भी चीज उजाले में नहीं जन्मती, सब कुछ जन्म अंधेरे में ही होता है. एक बीज भी फूटता है तो जमीन के अंधेरे में जन्मता है. फूल खिलते हैं प्रकाश में, जन्म अंधेरे में होता है.
असल में जन्म की प्रक्रिया इतनी रहस्यपूर्ण है कि अंधेरे में ही हो सकती है. आपके भीतर भी जिन चीजों का जन्म होता है, वे सब गहरे अंधकार में, गहन अंधकार में होती है. एक कविता जन्मती है, तो मन के बहुत अचेतन अंधकार में जन्मती है. बहुत अनकांशस डार्कनेस में पैदा होती है.
एक चित्र का जन्म होता है, तो मन की बहुत अतल गहराइयों में जहां कोई रोशनी नहीं पहुंचती जगत की, वहां होता है. समाधि का जन्म होता है, ध्यान का जन्म होता है, तो सब गहन अंधकार में. गहन अंधकार से अर्थ है, जहां बुद्धि का प्रकाश जरा भी नहीं पहुंचता. जहां सोच-समझ में कुछ भी नहीं आता, हाथ को हाथ नहीं सूझता है.
दूसरी बात कृष्ण के जन्म के साथ जुड़ी है- बंधन में जन्म होता है, कारागृह में. किसका जन्म है जो बंधन और कारागृह में नहीं होता है? हम सभी कारागृह में जन्मते हैं. हो सकता है कि मरते वक्त तक हम कारागृह से मुक्त हो जाएं, जरूरी नहीं है हो सकता है कि हम मरें भी कारागृह में. जन्म एक बंधन में लाता है, सीमा में लाता है. शरीर में आना ही बड़े बंधन में आ जाना है, बड़े कारागृह में आ जाना है. जब भी कोई आत्मा जन्म लेती है तो कारागृह में ही जन्म लेती है.
लेकिन इस प्रतीक को ठीक से नहीं समझा गया. इस बहुत काव्यात्मक बात को ऐतिहासिक घटना समझकर बड़ी भूल हो गई. सभी जन्म कारागृह में होते हैं. सभी मृत्यु कारागृह में नहीं होती हैं. कुछ मृत्यु मुक्ति में होती है.
कुछ कारागृह में होती हैं. जन्म तो बंधन में होगा, मरते क्षण तक अगर हम बंधन से छूट जाएं, टूट जाएं सारे कारागृह, तो जीवन की यात्रा सफल हो गई.
ओशो
[कृष्ण स्मृति]
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