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my wife
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देवांशु झा:

वो कहती है तुम ठग हो 
मैं कहता हूं, सम्यक व्यवहार है
वो कहती है तुम झूठे हो 
मैं कहता हूं सम्यक वाक है
वो कहती है तुम लापरवाह हो 
मैं कहता हूं सम्यक प्रयास है
वो कहती है तुम जीवन में पिछड़ गए
मैं कहता हूं सम्यक जीविका है
वो कहती है तुम्हें कुछ दिखता ही नहीं
मैं कहता हूं..सम्यक दृष्टि है
वो कहती है तुम कभी नहीं सुधरोगे
मैं कुछ कहता नहीं, चुप हो जाता हूं
वो मेरी पत्नी है, मेरी चुनी हुई प्रेमिका 
और मैं उसका अभीष्ट प्रेमी व्यक्ति 
मैं पिछले उन्नीस वर्षों से हर दिन सुनता हूं, कि
मैं बुद्धू हूं, समय से छूटा हुआ 
और मैं हर दिन खुद को बुद्ध बनते हुए देखता हूं 
अवश्य ही दिन में कम से कम एक बार

 

(साभार-लेखक के फेसबुक वॉल से)