दिनेश मानसेरा:
उत्तराखंड के सीमावर्ती जिले पिथौरागढ़ की गंगोलीहाट की महिलाओं ने अपने गांवो में कुछ ऐसा कर दिखाया है जो कि पूरे राज्य में एक मिसाल बन गया है, गंगोली महिलाओं ने अपने लिए पानी का खुद प्रबंध खुद कर लिया है.
पिथौरागढ जिले के सूदूर गंगोलीहाट का ये है गांव राईगैरसयाली. जहां आपको हर घर के बाहर आपको पानी की टंकियां मिलेंगी. खास बात ये की इन टंकियों में बारिश का पानी इकट्ठा किया हुआ है. ग्राम विकास समिति के महिला समूह की संचालिका बसंती बिष्ट कहती है, पानी तो पानी है बारिश का ही सही, साफ है पीने के लिए हमने उबाल कर या फिर आरओ के जरिये उसका इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है.
राईगरसयाली और उसके आसपास के चार गांवो में पीने के पानी की भारी किल्लत थी. यहां की महिलाएं रोजाना करीब आठ किमी दूर ऊबड़खाबड़ पहाड़ी पगडंडियों से होकर नदी से जाकर पीने के पानी भर कर घर तक लाती थी, जिसमे इनके रोजाना चार से पांच घण्टे बर्बाद होते थे. गांव समूह की महिला शोभा देवी बताती हैं कि हम इस समस्या से तंग आ गए थे. रोज-रोज पानी भरने में हमारा वक्त और ऊर्जा दोनों बेकार जाता था. पहले जब हमने बारिश के पानी को इकठ्ठा करने की योजना बताई तो लोगों ने मज़ाक उड़ाया अब वही लोग कहते है बढ़िया हुआ हम भी बनाएंगे.
एक संस्था के यहां की महिलाओं को बारिश के पानी को इकट्ठा करने की लिए जागरूक किया. पहले तो रेन हार्वेस्टिंग की योजना को मज़ाक समझा गया, लेकिन कुछ महिलाओं ने इस पर एक समूह बना कर काम शुरू किया. मुम्बई की एक और संस्था की मदद से महिलाओ ने खुद श्रम दान करके पानी की टंकियां बनाई.
गांव की बुर्जुग महिला लीला देवी बताती हैं कि हमने कभी सोचा नही था कि हमारे घर पर भी पानी आएगा. इस पहाड़ी इलाके में मौसम ऐसा है कि हर महीने बरसात हो ही जाती है, पहले पानी बेकार जाता था लेकिन अब टंकियों में भर जाता है. पानी की समस्या का समाधान होने से यहां के लोग बेहद खुश है. अब रेन हार्वेस्टिंग के इस तरीके से आसपास के 40 गांवो में पीने के पानी की कमी को दूर हो रही है वो भी बिना किसी सरकारी सहायता के.
पिथौरागढ़ जिले में ही गंगोलीहाट से लगे ब्लॉक मुंशीयरी के नाचनी आम हाट गांव की महिलाओं ने भी अपना समूह बना कर करीब 6 किमी ऊपर पहाड़ के जल स्रोत पर पानी की टंकी खुद बनाया और वहां से पानी की पाइप लाइन को अपने घरों तक पहुंचाया. लोगो तक पानी पहुंचाने का एक सिस्टम बनाया गया है जिसे पूरी तरह महिलाएं ही चला रही हैं.
हिमालय ग्राम विकास समिति की संगीता दीदी कहती हैं पहले महिलाए साथ आने से कतराती थी अब खुल कर साथ देती है, उन्हें बदलाव दिख रहा है. पानी के प्रबंधन का यह अनूठा प्रयोग 75 गांवो तक फैल चुका है, जहां 101 पानी की योजनाएं काम कर रही है और इनके पास करीब 21 लाख लीटर पानी का संग्रह रहता है.
गंगोली महिलाओ ने अपने पानी का प्रबंध कर अपने चार घंटे के वक्त को बचाया तो उनका ध्यान शौचालय बनाने की ओर गया है. यहां के 70 फीसदी घरो में शौचालय भी बन चुके है, कुछ गांव तो शतप्रतिशत स्वच्छता कर निर्मल पुरस्कार हासिल किया है. महिला समूहों के जरिये सरकार ने अब गंगोलीहाट बेरीनाग और मुंशीयरी ब्लॉक के 312 गांवों में शौचालय और स्व:पेयजल योजना पर काम शुरू करवाया है.
(लेखक उत्तराखंड के वरिष्ठ पत्रकार हैं)