GO GREEN के नारे के साथ इन 5 उपायों से GREEN HEALTH पाना बेहद सहज और आसान

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Green Health
Apply these 5 methods to get green health

सुमन बाजपेयी:

ग्लोबल वार्मिंग ने हमारी सेहत के साथ-साथ हमारी धरती को भी नष्ट करना आरंभ कर दिया है. अपनी सेहत और धरती को बचाने के लिए ईको-फ्रेंडली चीजों का इस्तेमाल और Go Green का नारा लगाने के अतिरिक्त और भी बहुत कुछ किया जा सकता है. Green Health पाना चाहती हैं तो इन उपायों को अपनाएं…




1- चलें या साईकिल का इस्तेमाल करें

Green Healthफिट रहने के लिए प्रतिदिन कम से कम 20 से 30 मिनट तक चलना या किसी न किसी तरह की एक्सरसाइज करना बहुत जरूरी है. सुबह सैर नहीं कर पातीं तो जहां तक संभव हो पैदल चलने की कोशिश करें.

अगर आफिस ज्यादा दूर नहीं है तो किसी वाहन में जाने के बाद पैदल आफिस जाएं. नहीं तो साईकिल एक बेहतर विकल्प है. इससे आपकी एक्सरसाइज होने के साथ-साथ एन्वायरमेंट की सुरक्षा भी हो जाएगी.




2- बिस्तर पर जल्दी जाने की आदत डालें

Green Healthबढ़ते वर्क प्रेशर और भागती-दौड़ती जिंदगी का हिस्सा बन जाने की वजह से हमारे सोने के घंटों में काफी कमी आ गई है. रिसर्च से यह प्रमाणित हो चुका है कि अपर्याप्त नींद व मोटापे का आपस में संबंध है.

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थकान व गहरी नींद न ले पाने की वजह से मोटापा बढ़ता है, क्योंकि इससे हार्मोंस प्रभावित होते हैं. नींद की कमी लेप्टिन नामक हार्मोन के स्तर को गिरा देती है, जिसका कार्य है दिमाग को बताना कि हमें भूख नहीं लगी या हमारा पेट भरा है और ग्रेलिन हार्मोन के स्तर को बढ़ा देती है जिससे हमें बहुत भूख लगती है.

सुमन बाजपेयी

यही नहीं रात में जगे हैं तो कंप्यूटर, टेलीविजन, माइकरोवेव ओवन व म्यूजिक प्लेयर्स से भी काम लेते रहते हैं और यह  रात को जगाए रखने में हमारी मदद करते हैं. इस गैजेट्स से इलेक्ट्रिीसिटी खर्च होती है जो पर्यावरण को दूषित करते हैं.

इसलिए सारे गैजेट्स को जल्दी बंद कर दे तो हमें जल्दी बिस्तर पर जाने की आदत हो जाएगी. देर रात तक नहीं जगे तो अपनी भूख को तो शांत कर फिट रह सकते हैं, साथ ही पर्यावरण व भोजन को भी बचा सकते हैं.

3- एयर कंडीशन बंद कर दें

अन्य मैमल्स और पक्षियों की तरह मानव भी अपने लगातार अपने मेटाबॉलिज्म को एडजस्ट करते हुए शरीर के तापमान को कंट्रोल करता है. जब हवा ठंडी होती है तो मेटॉबालिज्म अधिक गर्मी पैदा करने के लिए बढ़ता है. जब हवा गर्म होती है तो पसीने से अतिरिक्त एनर्जी बर्न होती है.

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पर जब हवा का तापमान थर्मो न्यूट्रल जोन (टीएनजेड) में होता है तो जो व्यक्ति के लिए कपड़ों सहित लगभग 21 डिग्री सेंटीग्रेड तक होता है, तो शरीर के तापमान को कायम रखने के लिए हमारे मेटाबालिज्म को बहुत ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ती है और इस तरह हमारी बहुत कम कैलोरी ही बर्न होती हैं.




घर और आफिस दोनों जगह एयर कंडीशन में बैठे रहने की वजह से इस तरह के कम्फर्ट जोन में बिताया गया यह समय मोटापे को बढ़ाने का प्रमुख कारण है. एयर कंडीशनर चलाने में बिजली भी अिधक मात्रा में इस्तेमाल होती है. लेकिन अगर एसी का प्रयोग न करते हुए आप अपने मेटॉबालिज्म का एडजस्ट करते हैं तो न तो शरीर की एनर्जी खर्च होगी न ही बिजली की.

4-ज्यादा दवाइयों का सेवन न करें

अधिकांश मामलो में किसी भी दवाई का अंश मात्र ही हमारा शरीर इस्तेमाल करता है. बाकी फ्लश हो जाता है. फ्लश होने के बाद वह खत्म नहीं हो जाता. वैज्ञानिक अभी भी यह पता लगाने में जुटे हैं कि कौन-सा ड्रग किस तरह से हानिकारक होता है.

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यह तो प्रमाणित हो चुका है कि उपयोग किए हुए पानी में निहित दवाइयां जल के इको-सिस्टम पर बुरा प्रभाव डालती हैं. हर दवाई का साइड इफेक्ट होता है, इसलिए अपनी हेल्थ को बचाने के लिए जरूरी होने पर ही दवाईयों का सेवन करें. साथ ही एन्वायरमेंट भी दवाइयों को फ्लश करने से दूषित होता है.

5-नैचुरल व ऑरगेनिक फैब्रिक ही पहनें

सिंथेटिक फाइबर और नॉन ऑरगेनिक फाइबर हाई लेवल के रसायनों व पेट्रोलियम से तैयार किए जाते हैं. दुनिया भर में हर साल 3 अरब डालर कॉटन के खेतों को कीटों से बचाने के लिए कीटनाशकों पर खर्च किए जाते हैं.

जिससे हजारों टन कैमिकल फर्टीलाइजरों का उसमें प्रयोग हो जाता है. ये कैमिकल्स हमारे प्लेनेट और हेल्थ दोनों के लिए ही नुकसानदेह हैं. इसलिए नैचुरल व इको-फ्रेंडली फैबिक ही पहनें.

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