डॉ कायनात क़ाज़ी:
ट्रैवलर, फोटोग्राफर, ब्लॉगर:
Summer Vacation शुरु हुआ नहीं कि बच्चों की ज़िद्द शुरू हो जाती है-कहीं घुमाने ले चलो. चिलचिलाती गर्मी और उमस में सभी का मन पहाड़ों की ओर दौड़ने लगता है. यदि आप भी इस Summer Vacation में बच्चों की पहाड़ों की सैर कराना चाहती हैं तो इस बार मैं आपको लिए चलती हूं जहां आपका मन करेगा-बस यहीं ठहर जाएं..
किसी ने सच ही ही कहा है कि पहाड़ों की असली खूबसूरती तो गर्मियों आने के बाद ही निकल कर आती है।. जब पूरी वादी पाइन के फूलों की खुशबू से महक उठती है और ठंडी-ठंडी हवाएं मौसम को और सुहाना बना देती हैं.
ऐसे में मौसम भी पल-पल रंग बदलता दिखाई देता है. अचानक से घिर आए बादल बरबस ही बरस पड़ते हैं और साथ ही धूप भी निकल आती है. धूप और बारिश की ऐसी आंख मिचौली का खेल यहां चलता ही रहता है.
ऐसी अटखेलियां आकाश में इन्द्रधनुष उकेर देती है. शिवालिक पर्वतश्रृंखला पर पाइन और ओक के पेड़ बहुतायत में पाए जाते हैं. पाइन के फूलों से टपकता पानी जगह जगह बने छोटे पहाड़ी घरों की टीन की लाल छतों पर गिरता है तो लगता है कोई जलतरंग बजा रहा हो.

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वादी में यहां- वहां घूमते बादल के टुकड़े रुई के फायों की तरह उड़ते फिरते हैं. धुला निथरा आकाश और दूर तक फैली शिवालिक की पहाड़ियां अगर आप नेचर लवर हैं तो आपको यह जगह ज़रूर पसन्द आएगी.

यह नज़ारा है हिमाचल प्रदेश के सोलन ज़िले के परवाणु (Parwanoo) गांव का. आज से कुछ सालों तक यह एक शांत पहाड़ी गांव था जहां इक्का दुक्का पहाड़ी घर और सीढ़ियों वाले खेत हुआ करते थे. पर आज यह जगह प्रकृति प्रेमियों के लिए पसंदीदा सैरगाह है.
अगर आप शार्ट वीकेंड प्लान कर रहे हैं तो यहां ज़रूर जाएं. चण्डीगढ़ से 30 किलोमीटर दूर राष्ट्रीय राजमार्ग-22 से सटा हुआ ये छोटा सा पहाड़ी क़स्बा सोलन जिले में पड़ता है. यहां आप सड़क मार्ग के अलावा रेल मार्ग से भी पहुंच सकते हैं.

परवाणु के लिए मीटर गेज पर चलने वाली कालका-शिमला टॉय ट्रेन से भी पहुंचा जा सकता है. परवाणु से नज़दीकी रेलवे स्टेशन टकसाल है. यह एक रूटीन टूरिस्ट स्पॉट नहीं है. अगर आप ट्रैकिंग का शौक़ रखते हैं तो 4 किलोमीटर में फैली शिवालिक पहाड़ियां ट्रैकिंग के लिए बहुत अच्छी हैं.

पाइन और ओक का जंगल प्राकृतिक सौंदर्य से भरा हुआ है. यहां फलों के बागान हैं. इस छोटे से क़स्बे का मुख्य व्यवसाय फल उगाना और उनसे जुड़े उत्पादनों का व्यवसाय करना है जैसे -जैम, जैली, पैक्ड फ्रूट्स आदि. यहां ठहरने के अनेक विकल्प उपलब्ध है.
यहां का मुख्य आकर्षण केबल कार है जिसके ज़रिे आप बेस से ऊपर मुख्य पहाड़ी पर बने टिंबर ट्रेल रिसोर्ट तक जाते हैं. इस ट्रॉली में सैर करते हुए आप नीचे फैली वैली का नज़ारा देख सकते हैं. जहां पाइन में पेड़ों के बीच झरना गिरता हुआ दिखता है.
वहीं बीच में एक नदी भी दिखाई देती है, जगह-जगह सीढ़ीनुमा धान के खेत इंसानों की उपस्थिति दर्ज करते हुए दिख जाए हैं. वहीं दूर छोटे छोटे पहाड़ी घर जिनकी छतें टीन की बनी होती हैं, रंग बिरंगे ये झोंपडी नुमा घर किसी फैरीटेल का हिस्सा लगते हैं.
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चोटी पर पहुंच कर आप टिंबर ट्रेल रिसोर्ट के रेस्टोरेन्ट में बैठ कर स्वादिष्ट भोजन का मज़ा ले सकते हैं. यहां ठहरने की भी व्यवस्था है पर उसके लिए आपको पहले से बुकिंग करनी होगी. यहां मोक्ष नाम का एक लग्ज़री स्पा भी है जहां पर स्टे भी किया जा सकता है.
यहां आकर आप प्रकृति की गोद में रिलेक्स कर सकते हैं और सनराइज़ व सनसेट का मज़ा ले सकते हैं. परवाणु के नज़दीक ही 37 किलोमीटर दूर कसौली है जो कि अपनी कोलोनियल टाइम की खूबसूरती के लिए मशहूर है. जैसे चर्च, लोवर पाइन मॉल आदि.

कसौली के अलावा परवाणू से मात्र 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है पिंजौर जो अपने मुग़ल स्टाइल गार्डन के लिए मशहूर है. एक वीकेंड में ये सभी स्थान मज़े से कवर किया जा सकते हैं. तो चलिए इस Summer Vacation में बच्चों को ले चलिए यहां की सैर पर….
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