प्रतिभा ज्योति:
सामाजिक कार्यकर्ता शबनम हाशमी में हरियाणा के बल्लभगढ़ में ट्रेन में एक मुस्लिम लड़के की पीट कर हत्या किए जाने के विरोध में राष्ट्रीय अल्पसंख्यक अवार्ड लौटा दिया है. उन्होंने यह अवार्ड 27 जून को राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग को लौटा दिया. उन्हें कांग्रेस की सरकार के समय 2008 में यह अवार्ड दिया गया था.
वुमनिया से बातचीत में शबनम हाशमी ने कहा कि देश में अल्पसंख्यकों के विरोध में जिस तरह का माहौल बन रहा है और जिस तरह उन पर हमले हो रहे हैं, मुझे लगा कि विरोध करना जरुरी है. मुझे यह अवार्ड अल्पसंख्यकों की रक्षा के लिए दिया गया था लेकिन जब माहौल ही ऐसा नहीं है तो इस अवार्ड को रखने का कोई फायदा भी नहीं है. इसलिए मैंने इसे वापस कर दिया है.
उन्होंने कहा कि यह सरकार अल्पसंख्यकों की सुरक्षा करने में पूरी तरह फेल रही है. एक आम नागरिक जैसे विरोध कर सकता है, मैंने भी उसी तरह किया है. उनका कहना है कि यह बेशक एक सांकेतिक है लेकिन मुझे विरोध करने का यही तरीका ठीक लगा. उनका मानना है कि मुसलमानों पर हो रहे यह हमले एक ऐसे प्रवृति का हिस्सा है जिसमें देशभर में दलितों, आदिवासियों और अन्य वंचित और अल्पसंख्यक समूहों हो रही हिंसा भी शामिल है. इन सभी घृणित अपराधों को दौरान सरकार ने लगातार बस एक निंदनीय चुप्पी बनाए रखी है. सरकार की इस चुप्पी को आम भारतीयों की स्वीकृति के रुप में नहीं पढ़ा जाना चाहिए.