प्रतिभा ज्योति
राष्ट्रपति पद के चुनाव में अब यूपीए की तरफ से लोकसभा अध्यक्ष रहीं मीरा कुमार मैदान में होंगी .एनडीए के उम्मीदवार रामनाथ कोविंद के खिलाफ विपक्ष ने एक बैठक के बाद मीरा कुमार के नाम का एलान किया.इस बैठक में 17 विपक्षी पार्टियों ने हिस्सा लिया . मीरा पूर्व उप प्रधानमंत्री जगजीवन राम की बेटी हैं. टीआरएस, एआईएडीएमके और वाईएसआर कांग्रेस, बीजेडी और जेडीयू के सपोर्ट के बाद एनडीए के पास राष्ट्रपति चुनाव में हिस्सा लेने वाले इलेक्टोरल कॉलेज के 61.89% वोट हैं. यानी कोविंद आसानी से अगले राष्ट्रपति बन सकते हैं. राष्ट्रपति चुनाव की वोटिंग 17 जुलाई को होगी . वैसे कम लोग जानते होंगे कि कांग्रेस की नेता मीरा कुमार को कमल का फूल खासतौर से पसंद है ,जो बीजेपी का चुनाव चिन्ह भी है.
यानी अब इस चुनाव में दो दलित उम्मीदवारों के बीच मुकाबला होगा और चुनाव कोई भी जीते के आर नारायणनन के बाद दूसरा दलित राष्ट्रपति देश को मिलेगा .31 मार्च 1947 को जन्मी मीरा कुमार 1985 में पहली बार सांसद बनी, उन्होंने बिजनौर से चुनाव लड़ा था. उस वक्त वे भारतीय विदेश सेवाक की अफसर थी लेकिन तब के प्रधानमंत्री कांग्रेस के नेता राजीव गांधी ने मीरा कुमार के पिता बाबू जगजीवन राम से उन्हें चुनाव लड़ाने का आग्रह किया था.
मीरा कुमार के बारे में एक वाकया काफी चर्चा में रहा कि 2012 में जब वे पाकिस्तान के दौरे पर गईं तो उन्होंनें अपने भाषण में धाराप्रवाह उर्दू बोलकर पाकिस्तानी सांसदों को अचरज में डाल दिया.मीरा कुमार ने अपने भाषण में फिराक गोरखपुरी, मजरूह सुल्तानपुरी और फैज़ अहमद फैज़ की कविताएँ भी पढ़ीं थी.
मीरा कुमार कांग्रेस की जवरल सेक्रेटरी भी रहीं हैं . वे 1996 में , 98 में 2004 और 2009 में सांसद चुनी गईं . 2004 में मनमोहन सिंह सरकार में वे सामाजिक न्याय मंत्री बनाईं गईं और 2009 में यूपीए के दूसरे कार्यकाल में मीरा कुमार लोकसभा स्पीकर चुनी गईं. लेकिन 2014 के लोकसभा चुनाव में वो बिहार के सासाराम से ही छेदी पासवान के ख़िलाफ़ लड़ी थीं और हार गई थी.
इससे पहले यूपीए ने ही प्रतिभा पाटिल के तौर पर देश को पहला महिला राष्ट्रपति दिया था . एनडीए के दलित उम्मीदवार के तौर पर बिहार के राज्यपाल रामनाथ कोविंद को उम्मीदवार बनाने के बाद यूपीए ने यह फैसला किया ताकि दलित के साथ उनके पास महिला उम्मीदवार के तौर पर भी नाम हो जाए .