प्रतिभा ज्योति:
कुछ महीनों बाद Gujarat में होने वाले विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए क्या प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वस्त्र मंत्रालय में केबिनेट मंत्री Smriti Irani का कद बढ़ा दिया है. उप राष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार बनाए गए सूचना प्रसारण मंत्री वेंकैया नायडू के इस्तीफ़ा देने के बाद स्मृति को सूचना प्रसारण मंत्रालय की अतिरिक्त ज़िम्मेदारी सौंपी गई है.
मोदी सरकार के तीन साल में वे इस मंत्रालय को संभालने वाली चौथी मंत्री होंगी. सबसे पहले प्रकाश जावडेकर को मंत्री बनाया गया, फिर अरुण जेटली सूचना प्रसारण मंत्री बने और फिर वेंकैया नायडू को इस मंत्रालय की ज़िम्मेदारी सौंपी गईं. सूचना प्रसारण मंत्रालय इसलिए काफी अहम है क्योंकि प्रधानमंत्री ने सरकार के कामकाज और गतिविधियों की जानकारी आम आदमी तक पहुंचाने के लिए फोकस देने पर ज़ोर दिया है. वैसे इस मंत्रालय में राज्य मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौड़ ही सक्रिय तौर पर कामकाज देख रहे हैं और उनकी मौजूदगी में ही स्मृति ईरानी ने मंत्रालय का कामकाज संभाला.
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प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी सरकार में स्मृति ईरानी को पहली बार का सांसद होने के बावजूद मानव संसाधन जैसे अहम मंत्रालय का जिम्मा सौंपा था. स्मृति ने 2014 के चुनाव में राहुल गांधी के ख़िलाफ चुनाव लड़ा था,लेकिन वे हार गईं थीं. लेकिन मानव संसाधन मंत्रालय में उनके कामकाज को लेकर संघ परिवार खुश नहीं था और उन्हें हटाने के लिए दबाव बनता रहा.फिर 2016 में पांच जुलाई को उनसे मानव संसाधन मंत्रालय ले लिया गया और उन्हें कपड़ा मंत्रालय में शिफ्ट कर दिया गया . उस वक्त वे काफी विवादों में रहीं थीं .उस वक्त रोहित वेमूला मामला काफी तूल पकड़ चुका था और खुद उनके डिग्री विवाद पर माहौल गर्म था, साथ ही जेएनयू विवाद ने सरकार के लिए सिरदर्द कर रखा था.
रोहित वेमुला के मामले से बीजेपी को उत्तर प्रदेश के चुनावों में नुकसान होने का खतरा दिखाई दे रहा था, इसलिए स्मृति को मानव संसाधन मंत्रालय से हटाना ज़रुरी समझा गया. अब अगले कुछ महीनों में गुजरात विधानसभा के चुनाव होने वाले हैं और वहां स्मृति ईरानी काफी लोकप्रिय हैं, खासतौर से महिलाओं में. तो क्या स्मृति ईरानी को सरकार के साथ अपनी छवि चमकाने का मौका भी मिल गया है. वैसे मौजूदा सरकार में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और स्मृति ईरानी को ही महिलाओं के तौर पर ताकतवर मंत्री माना जाता है. संभावना है कि मंत्रिमंडल का विस्तार संसद के मॉनसून सत्र के बाद हो तब असल में पता चलेगा कि ये बदलाव कितना स्थायी है और भविष्य के लिए प्रधानमंत्री मोदी स्मृति ईरानी को कितना अहम मानते हैं .