प्रतिभा ज्योति
राजनीति के बारे में अक्सर कहा जाता है कि वह रिश्तों को तार-तार करने में भी नहीं चूकती और बेहतर रिश्तों को तोड़ने या ख़राब करने में भी राजनीति का अहम रोल होता है. यूपी के चुनावों में ही देखिए. पिता मुलायम सिंह यादव और बेटे अखिलेश यादव के बीच क्या-क्या ना हुआ.
चाचा–भतीजा यानी शिवपाल यादव और अखिलेश के बीच तो सार्वजनिक तौर पर खूब बयानबाज़ी हुई. अपना दल की नेता मां कृष्णापाल और बेटी अनुप्रिया और उनकी बहन पल्लवी के बीच राजनीति ने ही दीवार खींच दी, लेकिन इसी राजनीति की वजह से अनबोला रखने वाली दो बहुएं एक साथ एक मंच पर नज़र आईं.
समाजवादी पार्टी के नेता मुलायम सिंह यादव की दो बहुएं यानी डिम्पल यादव और अपर्णा यादव के बीच आमतौर पर कोई बोलचाल नहीं हैं और वे दोनों एक दूसरे से दूरी बनाए रखती हैं बल्कि इसी वज़ह से दोनों बहुएं अलग अलग घरों में भी रहती हैं लेकिन अब जब पति अखिलेश की सरकार फिर से बनवानी हो तो कन्नौज से सांसद डिम्पल यादव पहुंच गई अपनी देवरानी अपर्णा यादव के मंच पर और उन्हें जिताने की अपील भी कर डाली . अपर्णा यादव मुलायम सिंह के दूसरे बेटे प्रतीक यादव की पत्नी हैं और लखनऊ कैंट से चुनाव लड़ रही हैं .
राजनीतिक जानकारों का कहना है कि अखिलेश तो पहले अपर्णा यादव को टिकट ही नहीं देने चाहते थे लेकिन मुलायम सिंह ने अपर्णा को काफी पहले ही लखनऊ कैंट से चुनाव की तैयारी करने का हुकुम सुना दिया था, इसलिए अखिलेश की मजबूरी थी टिकट देने की,इसके बावजूद चुनाव प्रचार के इतने दिनों में अखिलेश उऩके प्रचार के लिए भी नहीं गए.लेकिन प्रचार के आखिर तक आते आते जेठानी डिम्पल पहुंच ही गईं देवरानी को जिताने की अपील करने क्योंकि अपने पति को सीएम बनाने के लिए एक–एक सीट जीतना अहम है.
इस सीट पर अपर्णा का सीधा मुकाबला बीजेपी की उम्मीदवार और दिग्गज राजनेता रीता बहुगुणा जोशी से है. रीता बहुगुणा मौजूदा सीट से विधायक हैं, और बीजेपी में आने से पहले वे कांग्रेस की प्रदेश अध्यक्ष रह चुकी है. यूपी के मुख्यमंत्री रहे हेमवती नंदन बहुगुणा की बेटी और उत्तराखंड के सीएम रहे विजय बहुगुणा की बहन हैं .
अपर्णा अब तक अकेले ही चुनाव मैदान में डटी हुई हैं और खुद ही नुक्कड़ सभाएं कर रही हैं और कार्यकर्ताओं से मुलाकात और अपने कार्यक्रम की योजना भी खुद बनाती हैं. पति प्रतीक यादव की राजनीति में खास दिलचस्पी नहीं हैं और वे अपने बिजनेस में बिजी रहते हैं . अपर्णा से अखिलेश के नाराज़ होने की एक वज़ह यह भी हो सकती है कि अपर्णा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की प्रशंसक हैं और वे मोदी के स्वच्छता अभियान की तारीफ भी सार्वजनिक मंचों पर तो कर ही चुकी हैं, कई बार उन्होंनें अखिलेश को मोदी से प्रेरणा लेने की सलाह भी दी है.
मुलायम सिंह ने पिछले चुनाव में डिम्पल यादव को कन्नौज सीट से निर्विरोध चुनवा कर लोकसभा में भेजा था. इससे पहले चुनाव में कन्नौज सीट अखिलेश यादव ने जीती थी लेकिन बाद में उनके सीट छोड़ने पर डिम्पल यादव को उतारा गया तो मुलायम सिंह ने उनकी जीत सुनिश्चित कर दी. अब लोगों को लगता है कि मुलायम अपनी दूसरी बहू की जीत भी सुनिश्चित करके उन्हें विधानसभा में भेजना चाहते हैं.