ठुमरी साम्राज्ञी GIRIJA DEVI नहीं रहीं, बनारस घराने के लिए अपूरणीय क्षति

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Girija Devi
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ठुमरी साम्राज्ञी Girija Devi देवी नहीं रहीं. कोलकता में 88 साल की उम्र में दिल का दौरा पड़ने से मंगलवार रात साढे नौ बजे उनका निधन हो गया. ठुमरी और पारंपरिक लोग संगीत के अलावा उन्हें होरी, कजरी, चैती, झूला, दादरा और भजन के अनूठे गायन के लिए भी याद किया जाएगा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ समेत कई नेताओं ने Girija Devi को अपनी श्रद्धांजलि दी है.  
 




गिरिजा देवी प्रसंशकों मे प्यार से अप्पा जी उप नाम से मशहूर थीं. वे बनारस घराने की शास्त्रीय गायिका थीं. शास्त्रीय संगीत के साथ ही उन्हें ठुमरी गाने में भी महारथ हासिल थी. अपनी इसी खासियत की वजह से उन्हें ठुमरी सम्राज्ञी कहा जाता है. 
 
1929 को जन्मी गिरिजा देवी संगीत नाटक अकेडमी सम्मान मिला. 1972 में उन्हें पद्म श्री, 1989 में उन्हें पद्म भूषण और 2016 में पद्म विभूषण पुरस्कार से सम्मानित किया गया. 1949 में 20 वर्ष की उम्र में पहली बार अपनी कला का प्रदर्शन किया था लेकिन पारिवारिक दबाव की वजह से पीछे हटना पड़ा फिर बिहार के आरा में 1951 में अपनी गायन कला से फिर से जनता के सामने आई. उसके बाद वे बनारस घराने की पहचान बनीं.




 
उन्हें बनारस से खास लगाव था. जब वह महज दो साल की थीं तब उनका परिवार बनारस में आकर बस गया था. उन्हें घंटों गंगा किनारे बैठना अच्छा लगता था. गंगा में तैरतीं और मछलियां पकड़ती रहती थीं. वह कहती थीं कि मछली  को जिंदगी के लिए संघर्ष करते देख उन्हें संगीत के दौर में बने रहने के लिए संघर्ष करने की प्रेरणा मिली थी. 




 
उनके पिता रामदेव राय ने उनके अंदर संगीत की प्रतिभा को पहचाना और प्रारंभ में संगीत सिखाया. ठुमरी गायन को एक मुकाम तक पहुंचाने वाली गिरिजा देवी की शादी 15 साल की उम्र में ही कारोबारी मधुसूदन जैन से हो गई थी. 16 साल की उम्र में वे एक बेटे की मां भी बन गईं. गायन में आगे बढ़ने के लिए उनके पति ने उनका बहुत साथ दिया था. 1975 में पति के निधन के बाद उनके जीवन में एक खालीपन आ गया था.  
 
 

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