पीरियड पर आधारित हमारे कैंपेन #MyFirstBlood के पांचवे दिन आज पढ़िए उत्तर प्रदेश के कुछ गृहिणियों के अनुभव. जिन्होंने शर्म और संकोच से अपनी तस्वीर नहीं दी है लेकिन वे हमारे कैंपेन का हिस्सा बनना चाहती थी. उनके अनुभव बहुत कुछ कई लड़कियों की कहानी बयां कर रहे हैं……किसी को घर के Male Members से दूर रहने को कहा गया तो किसी को मंदिर जाने से ….
पूजा यादव-
सुरभि-
12-13 साल की उम्र में पहला पीरियड हुआ था. घर की औरतों ने हमें कहा कि इस दौरान खट्टी चीजें मत खाना जैसे अचार या ईमली. हमें अचार छूने से भी मना किया गया.
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अपर्णा-
निधि-
पहले पीरियड की जो पहली सीख याद आती है वो यही है कि हमें इस दौरान नए कपड़े नहीं पहनने दिए जाते थे. मेरी समझ से इसके पीछे तर्क यह होता होगा कि शायद खून का दाग लगने से नए कपड़े खराब हो जाएंगे लेकिन हमें यह कहा जाता था कि इस समय हम अपवित्र होते हैं इसलिए नए कपड़े नहीं पहनने नहीं चाहिए.
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शालिनी-
मुझे याद है कि जब पहली बार पीरियड हुआ तो पहले दो दिन नहाने से मना किया गया था. मुझे अपना शरीर गंदा लगता था लेकिन मैं नहा नहीं सकती थी. हैरानी होती थी मुझे. इस दौरान शरीर को और साफ-सुथरा रखना चाहिए तो हमें नहाने से ही मना कर दिया जाता था.
निशि-
पहली बार पीरियड हुआ था तो हमें कुछ पता ही नहीं था. हम तो खूब खेलते-कूदते थे. लेकिन पीरियड होते ही हमें बताया गया कि अब सब कुछ बदल रहा है. इसलिए जब पीरियड रहे तो पौधों को मत छूना, फूल मत तोड़ना. हमें फूलों को छूने से भी मना किया गया.
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