वुमनिया और मुहीम की तरह से जो #MyFirstBlood अभियान चलाया जा रहा है उसके लिए बहुत-बहुत बधाई. पीरियड से लेकर जो मिथ हैं वे अभी भी भारत में मौजूद है. मैं अब भी उस बात को नहीं भूलती हूं जब पहली बार पीरियड आया और मैंने यह बात अपनी मां को बताई तो उनका अजीब Reaction था.
कहने को तो कहा जाता है कि यब बात बहुत पुरानी हो चुकी है और इस बात करना ज्यादा जरुरी है लेकिन देखा जाए तो निचले तबके और ग्रामीण इलाकों की औरतों की स्थिति तो बहुत खराब है. आज भी पहली बार महिला का जब पीरियड होता है तो यह नहीं बताया जाता है कि उन्हें अपना ध्यान कैसे रखना है या इसे मैनेज कैसे करना है, बल्कि इससे जुड़े मिथ से भर दिया जाता है.
MUST READ: #MYFirstBlood-PICKLE को कैसे पता मेरा पीरियड चल रहा है और उसे छूआ तो ख़राब हो जाएगा
मुझे याद है कि जब पहली बार पीरियड हुआ तो मैं घबरा गई. क्योंकि मुझे लग रहा था कि मेरे साथ क्या हुआ? मैंने अपने आसपास ऐसा होते नहीं देखा था और न ही मुझे इस बारे में बताया गया था. मैंने रोते-रोते मम्मी और बहन को बताया. मम्मी का Reaction मेरे लिए बहुत अजीब था और मैं उससे बहुत डर गई. मम्मी ने कहा हे भगवान-इसके पीरियड इतनी जल्दी कैसे आ गए?
मेरी बहन ने मुझे समझाना शुरु किया और थोड़ा शांत किया लेकिन मुझे आज भी याद कि मुझे यह नहीं समझाया गया कि इसे मैनेज कैसे करना है यह क्यों होता है कैसे होता है ? बल्कि मुझे यह कहा गया कि घर में जो मूर्तियां रखी हैं उसे छूना नहीं.
MUST READ: ‘महीने की गंदी बात’ जैसे दकियानूसी सोच के खिलाफ है #MyFirstBlood CAMPAIGN
सख्त हिदायत दी गई कि इस दौरान न तो मंदिर के पास जाना है न पूजा करनी है और न ही पेड़-पौधे को छूना है. स्कर्ट पहनने से भी मना किया गया. आज भी जब मैं सोचती हूं कि पहली बार पीरियड शुरु होने पर मुझे क्या समझाया गया तो मुझे दुख के साथ कहना पड़ता है कि यही बातें मुझे बताई गईं.
(adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({});
इसलिए वुमनिया और मुहीम जो अभियान चला रहा है इसकी बहुत जरुरत है. माहवारी से जुड़े मिथ का अंत चाहिए. मुझे उम्मीद है जैसे मैंने अपना अपना अनुभव शेयर किया है आप भी इससे जुड़े मिथ को तोड़ने के लिए आपने जो भी परेशानियां झेली हैं उसे जरुर साझा करेंगे.
( ऑडियो क्लिप में जिनकी आवाज है, उनके अनुरोध पर पहचान गुप्त रखी गयी है)