पीरियड पर आधारित हमारे कैंपेन #MyFirstBlood की 7वीं कड़ी में आज पढ़िए वाराणसी के एक स्कूल के टीएनएज गर्ल्स के अनुभव. लड़कियों ने शर्म और संकोच से पीरियड से जुड़े उन भ्रांतियों की बात की जो उन्हें बताया गया था. एक लड़की का सवाल था-पीरियड के तीसरे दिन बाल धोने के बाद Boys को नहीं छूने और उनसे दूर रहने को क्यों कहा गया?

स्वाति सिंह:
बनारस के लिटिल स्टार स्कूल (नंगवा) के उस स्कूल का वो हाल टीनएज गर्ल्स से भरा हुआ था. करीब सौ से अधिक लड़कियां उस रूम में मौजूद थी. हमारी टीम उस दिन लकड़ियों के साथ पीरियड के मुद्दे पर बातचीत करने पहुंची थी.
लड़कियों ने इससे पहले कभी भी इस मुद्दे पर खुले तौर पर बात नही की थी, ये पहली बार था जब उनके स्कूल में इस विषय पर चर्चा होनी थी. जब हमने उनसे यह सवाल किया कि ‘पीरियड क्या है?’ तो इसपर सात से आठ लड़कियों ने जवाब दिया और उन सभी के जवाब सिर्फ पीरियड से जुड़ी भ्रांतियों वाले ही थे.

MUST READ: #MyFirstBlood-पीरियड कोई TABOO नहीं है मगर लोगों की नज़र में इससे ज्यादा कुछ नहीं?
किसी ने कहा कि ‘इस दौरान हमें पूजा नहीं करनी चाहिए’ तो किसी ने ये कहा कि ‘ये तो लड़कियों को होना ही है वगैरह-वगैरह. लड़कियों से पीरियड से जुड़ी भ्रांतियों पर काफी देर तक चर्चा हुई और धीरे-धीरे इन भ्रांतियों के ज़रिए हमने उनके साथ पीरियड के मुद्दे स्वास्थ्य, स्वच्छता और जागरूकता की स्वस्थ बात की.
हां, पूरी चर्चा के दौरान बीच-बीच में लड़कियों को बार-बार बोलने के लिए प्रेरित करने की ज़रूरत पड़ रही थी, क्योंकि इस विषय पर चुप्पी तोड़ना कोई आसान काम नहीं था. इन सबके बावजूद कार्यशाला के अंत में जब लड़कियों को ‘पीरियड की दकियानूसी बातों के विरुद्ध’ चलाये जाने वाले हमारे अभियान #MyFirstBlood के बारे बताया तब कुछ लड़कियों ने अपने पहले पीरियड से जुड़ी उन निषेध नियमों को हमसे साझा किया जो उन्हें आज भी याद है.
MUST READ: #MYFirstBlood-GRAND MOTHER ने बोला किसी को बताना मत कि तुम्हारा पीरियड शुरु हो गया…..
महिलाओं से जुड़े अन्य अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें फेसबुक और गूगल प्लस पर ज्वॉइन करें, ट्विटर पर फॉलो करे… Video देखने के लिए हमारे you tube channel को subscribe करें