#MyFirstBlood- उस दिन मैं बहुत EMBARRASSED हुई, पता ही नहीं था स्त्री होना वाकई मजाक नहीं

1203
Share on Facebook
Tweet on Twitter
#myfirstblood that day I was very embarrassed being a woman is not a joke
प्रितपाल कौर

#MyFirstBlood की 22वीं कड़ी में आज पढ़िए वरिष्ठ पत्रकार और लेखिका प्रितपाल कौर के अनुभव. प्रितपाल जी दिल्ली से हैं और कई सालों से पत्रकारिता और लेखन में सक्रिय है. वे बताती हैं कि पहले पीरियड के वक्त बहुत Embarrassed हुई थी. यह पता नहीं था अभी इब्तिदाये-इश्क़ है. आगे-आगे बहुत कुछ होना है. स्त्री होना वाकई मजाक नहीं है

प्रितपाल कौर:

मेरी उम्र कोई ग्यारह-बारह वर्ष की रही होगी. ज़िंदगी के मायने अभी सीखने भी शुरू नहीं किये थे. जीने का मतलब था सुबह उठ कर स्कूल जाना, शाम को घर आ कर होम वर्क करना, कुछ देर खेलना और खाना खा कर सो जाना.




जिस दिन होम वर्क कम हो और रात को सोने से पहले टाइम बचे तो रेडियो पर गाने सुनना. वर्ना तो रात होने तक हालत ये होती थी कि कई बार तो सोफे से बिस्तर तक कोई उठा कर ही पहुंचाता था. यानी एक सतत बेफिक्री की ज़िंदगी थी.

MUST READ: #MyFirstBlood- मानों उस दिन PAPA ही मां बन गए थे

आज कल की तरह हमारे समय में स्कूलों में बच्चों को सेक्स और इससे सम्बंधित जानकारी बिलकुल नहीं दी जाती थी. मेरी मां एक सरकारी अधिकारी थीं. जिनके महीने में पन्द्रह दिन टूर में गुज़रते थे. पिता दूसरे शहर में अपना फार्म संभालते थे.

तो जिन दिनों मां बाहर होतीं तो हमारी गृह प्रबंधिका मेरे साथ पूरा वक़्त रहतीं. वही मुझे स्कूल भेजती और सामान्य दिनों की तरह घर के सारे काम-काज संभालतीं. इसके अलावा अक्सर ये होता था कि मेरी मां की एक सहयोगी और मित्र मेरे साथ रहने आ जातीं. वे बेहद परिपक्व, समझदार और कलात्मक रूचि की महिला थीं.




मैं खुद में ही रहने वाली खासी अन्तर्मुखी लडकी थी. क्लास में भी मेरी रूचि लड़कियों की कानाफूसियों में बिलकुल नहीं रहती थी. को-एजुकेशन में पढ़ते थे. मां ने भी कभी माहवारी की चर्चा नहीं की. शायद उन्हें यही लगा होगा कि अभी मैं छोटी हूं और अभी फिलहाल मुझे इसका सामना नहीं करना है.

बस यूं ही दिन गुज़र रहे थे कि एक दिन सुबह सो कर उठी तो महसूस हुया कि मेरे कपडे गीले हैं. बड़ा अजीब सा लगा. लगा कि नींद में पेशाब निकल गया है. लेकिन ऐसा पहले कभी हुआ नहीं था.

MUST READ: #MyFirstBlood-हमें कहा गया कि कितना भी दर्द हो MEDICINE मत खाना

मैं बुरी तरह डर गयी. लगा ये तो बहुत बुरी बात है. बेहद शर्मिन्दगी भी हुई. मां टूर पर थीं. आंटी दूसरे कमरे में सो रही थीं. उनके उठ कर आने से पहले ही कपडे बदलने की सोची. बिस्तर से उठी तो चीख ही निकल गयी. बिस्तर पर खून लगा था. फिर अपने कपड़ों पर नज़र डाली तो नाईटी खून में भरी थी. पैंटी तो उससे भी ज्यादा. एक बारगी तो मानो बेहोश ही हो गयी.




(adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({});

चीख सुन कर आंटी मेरे कमरे में आ गयी थीं. उन्होंने मेरी हालत देखी तो समझ गयीं कि मैं सदमे में हूं. पूछा कि मैं मेंसिस के बारे में जानती हूं? मैंने इंकार में सर हिला दिया. उन्होंने सबसे पहले तो मुझे गले से लगाया. फिर थोड़े शब्दों में समझाया कि ये खेल अब हर महीने होने वाला है और अब मैं बड़ी हो गयी हूं.

MUST READ: #MyFirstBlood- शरीर से BLOOD बहता देख लगा कि बस अब तो किसी भी वक्त मरने वाली हूं

इसके बाद हमारी कवायद शुरू हुी. आंटी ने मम्मी के बेडरूम से पैड्स ढूंढें. मुझे लगाना सिखाया. मेरे कपडे बदलवाए. मैं रो रही थी और उन्होंने मुझे बार-बार तसल्ली दी कि ये कोई चोट नहीं है जो मेरे अन्दर लग गई है और खून बहना जिस तरह शुरू हुआ है अपने आप, वैसे ही बंद भी हो जाएगा.

अब तक कमर में दर्द भी होना शुरु हो गया था. दिल सहम गया था. ये क्या मुसीबत थी. पिछले कुछ दिनों से स्तनों का आकार भी बढ़ना शुरू हो गया था. अभी उस बदलाव से ही दो चार होना बाकी था कि ये नयी मुसीबत आन पडी.

खैर! सुबह सुबह नहाना धोना हुआ. फिर से कपडे बदले. आंटी ने बेहद प्यार से मुझे संभाला. सारी बातें समझाईं. एक-एक बात बताई. पूरी शिक्षा दी. लगा कि आज सन्डे के दिन सुबह-सुबह क्लास हो गई मेरी. सब कुछ सुना, गुना और फिर राम राम करते वे चार-पांच दिन काटे.

दो दिन बाद मां टूर से आयीं तो आंटी ने ही उन्हें बताया. मां ने पूछा कि डॉक्टर को दिखाने चलें? इस पर तो अपनी जान ही सूख गयी.

पहले तो ये मुसीबत और अब डॉक्टर का चक्कर भी? ना रे बाबा! मैंने लम्बा सा सर दाहिने बाएं घूमा कर मना कर दिया. दर्द तो अब तक बंद हो ही चुका था. मगर दिन भर पैड बदलने की मुसीबत जारी थी. उस पर तुर्रा ये की हर महीने ये सब झेलना था. उस वक़्त ये नहीं पता था कि ये तो अभी इब्तिदाये-इश्क़ है. आगे-आगे बहुत कुछ होना है. स्त्री होना वाकई मजाक नहीं है.

Read this also:

#bloodnormal campaign-पहली बार पीरियड पर बने किसी एड में नैचुरल दिखा-IT’S RED NOT BLUE

आजादी और बंदिशों के बीच कैसे SAFE रखें टीएनएज बच्चों को

TWINKLE KHANNA ने कहा SANITARY PAD पर जीएसटी नहीं अलार्म चाहिए

CHILD ABUSE का शिकार हुई लेकिन क्यों नहीं कह पाई किसी से?

मां की PAINTING में पांच साल के बच्चे ने नीचे क्यों लगा दिया RED निशान?

 

महिलाओं से जुड़े अन्य अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें फेसबुक और गूगल प्लस पर ज्वॉइन करेंट्विटर पर फॉलो करे… Video देखने के लिए हमारे you tube channel को  subscribe करें