#MyFirstBlood की 31वीं और आखरी कड़ी में आज जानिए 12वीं में पढ़ने वाली नेहा विश्वकर्मा के अनुभव. नेहा को यह बात बहुत अखरी थी कि जब उसे पहली बार पीरियड शुरु हुए तो Family Members को उसका स्कूल जाना पसंद नहीं आया. उन दिनों उसका स्कूल बंद करा दिया जाता.
नेहा विश्वकर्मा-
मैं वाराणसी के खुशीपुर गांव (काशी विद्यापीठ ब्लॉक) की रहने वलाी है. अभी 12वीं में पढ़ रही हूं. अब तो काफी समझ विकसित हो गई है लेकिन जब छोटी थी कई बातों से पूरी तरह अंजान थी. घर का माहौल ऐसा नहीं था कि हमें कुछ बताया जाता.
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स्कूल में साइंस की किताबें भी पढ़ रही हूं तो जानती हूं कि समय के साथ हमारे शरीर में किस तरह के परिवर्तन होते हैं. लेकिन दुर्भाग्य से हमारे घरों में यह बात अब भी बच्चों को नहीं बताई जाती है कि आप इन बदलावों के साथ खुद को कैसे ढालें और अपने शरीर का किस तरह से ख्याल रखें?
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मुझे याद है कि जब मेरा पहला पीरियड शुरु हुआ तो मैं इस बारे में कुछ भी नहीं जानती थी. हमें किसी ने कुछ बताया ही नहीं था, इसलिए इस बारे में कोई सुनी-सुनाई बात भी मेरे जेहन में नहीं थी.
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पहली बार पीरियड शुरु हुआ तो मन बहुत घबरा गया. समझ ही नहीं आया कि मेरे साथ हुआ क्या है? मां को सबसे पहले इसके बारे में बताया. उसके बात तो बस मेरे Family Members ने सबसे पहला काम यही किया कि मेरे स्कूल जाने पर रोक लगा दी गई.
मां ने मुझसे अन्य लड़कियों की तरह कपड़ा इस्तेमाल करने की सलाह दी. इसके अलावा उन्होंने या किसी और ने मुझे यह नहीं बताया कि आखिर ऐसा क्यों होता है? मैं खुद ही अपने मन के सवालों से उलझी रही और मेरी मानसिक स्थिति का अंदाजा हर वो टीएनएज लड़की लगा सकती है जो इस फेज से गुजरी है.
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