#MyFirstBlood campaign अब सीधा उन लड़कियों के बीच पहुंच गया है जहां इस मुद्दे पर ज्यादा शर्म और चुप्पी है. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के संसदीय गांव वाराणसी के नागेपुर में महावारी यानी पीरियड पर सेमिनार का आयोजन किया गया. इस सेमिनार में नागेपुर और आसपास के 20 गांवों की महिलाओं और लड़कियों ने हिस्सा लिया.
सेमिनार से पहले नागेपुर में एक जन- जागरण रैली भी निकाली गई जिसमें पीरियड के दौरान महिलाओं की स्वच्छता और स्वास्थ्य पर ध्यान देने पर ज़ोर दिया गया. इस कार्यक्रम में गांवों में महिलाओं और लड़कियों के स्वास्थ्य, Hygiene यानी स्वच्छता और सैनटरी पैड इस्तेमाल किए जाने पर विस्तार से चर्चा की गई.
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वुमनिया की संपादक प्रतिभा ज्योति ने कहा कि इस उम्र में मांओं को लड़कियों के शारीरिक विकास और साफ-सफाई के बारे में बताना चाहिए लेकिन लड़कियों पर पाबंदियां थोप दी जाती है कि यह मत करो-यह मत करो.
उन्होंने कहा कि गांवों में शिक्षा की कमी के कारण बेशक माएं वैज्ञानिक तरीकों से बेटियों को यह नहीं समझा सकतीं कि पीरियड होने का मतलब है कि वे मां बन सकती हैं और लेकिन अपने जीवन के अनुभव से बहुत कुछ सिखा सकती हैं.
प्रतिभा ज्योति ने कहा कि उस अभियान का अनुभव यह सिखाता है कि पीरियड के मसले पर गांव ही नहीं शहरों की हालत भी अच्छी नहीं हैं, लेकिन शहरी लड़कियां अब इस टैबू को तोड़ रही है और इस पर बात करने लगी हैं.
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उन्होंने सेमिनार में मौजूद एक बच्ची के अनुभव को आधार बनाकर कहा कि यह शर्म और चुप्पी का विषय नहीं है क्योंकि इससे हमारे स्वास्थय को गंभीर खतरा होता है. इसके लिए ज़रुरी है कि सबसे पहले लड़कियां ही पीरियड के दौरान अपनी साथियों पर हंसना या कमेंट करना बंद करें और स्वास्थ्य की दृष्टि से कपड़े या दूसरी चीजों के बजाय सैनटरी पैड का इस्तेमाल करें.
प्रतिभा ज्योति ने बताया वुमनिया और मुहीम के साथ लोक चेतना समिति ने दिसम्बर में पूरे महीने के लिए #MyFirstBlood camapaign चलाया तो उसमें देश भर से ही नहीं तंजानिया से भी लेखिका ने अपनी रियल स्टोरीज शेयर की, जिसे womeniaworld.com पर प्रकाशित किया गया.
ज़्यादातर लड़कियों ने अपने फोटो भी भेजे, जिसका मतलब था यह कैंपेन कामयाब हुआ यानी पीरियड के taboo को तोड़ने की ओर कुछ कदम बढ़ा सके.‘मुहीम’ की फाउंडर स्वाती सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के संसदीय गांव से इस अभियान की शुरुआत का मकसद देश भर तक संदेश को तेज़ी से पहुंचाना है और अब इसमें और तेज़ी आएगी.
स्वाती ने कहा कि पीरियड के दौरान सैनटरी पैड का इस्तेमाल सिर्फ़ साफ सफाई से ही नहीं जुड़ा है बल्कि ये महिलाओं के स्वास्थ्य की बात है और जानकारी के अभाव में महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर के मामले सामने आते हैं. लिहाजा लड़कियों को इस विषय पर चुप्पी तोड़नी चाहिए.
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय में प्रोफेसर डी सी राय ने इसे क्रान्तिकारी कदम बताया और कहा कि शहरों में नहीं गांवों में भी इस पर चर्चा होनी चाहिए ताकि हम महिलाओं की स्वास्थ्य संबंधी तकलीफों को दूर कर सकें.
पत्रकारिता और जनसम्प्रेषण विभाग के धीरेन्द्र कुमार राय का कहना था कि अभी पुरुषों की बात तो छोडिए. महिलाएं ही इस मुद्दे पर बात नहीं करती तो सबसे पहले महिलाओं को आगे आने के लिए पहल करनी होगी और जागरुक बनाना होगा.
लोक चेतना समिति की निर्देशिका रंजू सिंह ने लड़कियों में कहा कि माहवारी लड़की के संपूर्ण नारी होने का अहसास है,लेकिन ऐसे विषय पर भी हमारी खामोशी ठीक नहीं है.
लोक चेतना समिति के संचालक नंद लाल ने कहा कि समिति महिलाओं के अलग अलग मुद्दों पर काम करती रही है,लेकिन ऐसे विषय पर महिलाओं की सक्रिय भागीदारी ने हमारा उत्साह बढ़ाया है.
अब अभियान के दूसरे चरण में हम देश के अलग-अलग शहरों में सेमिनार और रैलियां और दूसरे कार्यक्रम रहे हैं.
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