क्या उसने ऐसे PUNISHMENT के बारे में सोचा था?

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punishment

प्रियंका रत्नामाला:

गोली की आवाज़ के साथ ही वो ढेर हो गया. ड्राईंगरूम में पसरी खून से लथपथ लाश और वो पसीने पागलपन और तेज दौड़ती सांसों के बीच झूल रही थी. वो चिपक गई, सिमट गई अपने पति शौर्य की बांहों में, सामने उसके देवर वीर की लाश पड़ी थी. गोली कैसे चली आपस में गुत्थम-गुत्थी में या शौर्य को बचाने में? रिवाल्वर तो वीर के हाथों में थी, एक पल भी यदि महक गंवाती तो शौर्य ….लेकिन वीर ऐसी Punishment मिली उसे. क्या उसने कभी ऐसा सोचा था?

शौर्य और महक दोनों को समझ नहीं आ रहा था कि कैसे क्या हो गया? सच वो मारना नहीं चाहती थी वीर को, उसने तो सिर्फ़ अपने शौर्य को बचाया था, अपने सुहाग की रक्षा की थी, अपनी मांग के सिन्दूर को अक्षत रखने के लिए वो भिड़ गई थी वीर से.




थोड़ी देर पहले ही किसी का फोन उसके मोबाइल पर बजा कि शौर्य का एक्सीडेंट हो गया है, वो बदहवास सी भागी, दौड़ती हुई अपने कमरे से बाहर निकल रही थी कि ड्राईंगरूम में आवाज़ सुन कर चौंक सी गईं..

वीर की आवाज़, गुस्से में था वो बहुत, उसके साथ खड़ा लड़का उसकी डांट खाते हुए उसे समझाने की कोशिश कर रहा था..

MUST READ: उस NIGHT के इंतज़ार में बैठी है वो..

 

शौर्य और वीर दोनों जुड़वा भाई थे. पांच मिनट का फर्क था दोनों में. बिलकुल हुबहू शक्ल, कोई एकबार में धोखा खा जाए. वो भी तो धोखा खा गई थी पहली ही बार में. शादी के बाद विदा होकर जब ससुराल में पांव रख रही थी तो दरवाजे पर सामने सास और कुछ महिलाओं के साथ जो लड़का खड़ा था , वो देख कर चौंक गई, चौंकने के बजाय घबराना ज़्यादा ठीक होगा कहना. वो सोचने लगी अभी जिस के साथ मंडप में फेरे लिए फिर वो कौन था?  वो सोच ही रही थी तभी आवाज आई-उसने बड़े अंदाज़ में कहा – स्वागत है, महारानी साहिबा..

ससुराल के दरवाज़े पर पहुंचते ही, उसका दिमाग चक्कर खा गया. एक मिनट में हज़ारों सवाल कौंध गए, क्या उसकी शादी किसी गलत लड़के से कर दी गई है. उसकी हालत देख कर वहां खड़ी सब महिलाएं ठहाका लगा कर हंस पड़ी. सासू मां ने हंसते हुए कहा –घबराओ मत महक, ये वीर है, तुम्हारा देवर, शौर्य का जुड़वा भाई. उसकी सांस में सांस आई, लेकिन दिल अब भी तेज़ी से धड़क रहा था. पीछे से ननद आकांक्षा की ठिठोली भरी आवाज़ थी- भाभी संभल कर रहना, वीर को सरप्राइज़ देने में बड़ा मज़ा आता है.

अपने कमरे में पहुंची तब तक शौर्य भी आ गया था. उसे सारी बातें बताई. शौर्य उसका डर समझ गया, उसने कहा कि वीर ऐसे ही मज़ाक करता है क्योंकि वह सबका लाडला है. तुम्हें घबराने की ज़रुरत नहीं. वो ऐसा कुछ नहीं करेगा कि तुम परेशान हो.




शाम को लोगों का आना-जाना, मुंह दिखाई की रस्म चलती रही. डिनर के बाद आकांक्षा और उसकी सहेलियां उसे कमरे तक छोड़ आई. शौर्य और वीर, घर के दूसरे लोगों के साथ मौज मस्ती गपशप हंसी ठहाका कर रहे थे. म्यूजिक बहुत तेज बज रहा था और छोटे बच्चे ‘मुन्नी बदनाम हुई’ जैसे गानों पर डांस कर थे. वो धड़कते दिल से अपने कमरे में शौर्य का इंतज़ार कर रही थी तभी दरवाजा खुला, वो बेड से उठी कि उसने अचानक कस कर अपनी बांहों में भर लिया, उसका दबाव उसके ब्रेस्ट को भींच रहा था, उसके हाथों का दबाव वो नीचे भी जोर से महसूस कर रही थी. उसने शर्माते हुए कहा– शौर्य, छोड़िए ना..हंसते हुए उसने कहा. लेकिन ये क्या वह तो वीर था. उसने कहा भाभी आगे से वीर को पहचानने में भूल मत करना, मुझे तुम बहुत पसंद हो, लेकिन मां ने शौर्य के साथ तुम्हारी शादी कर दी.

उसको लगा कि वो गिर पड़ेगी, संभलते हुए वो बेड पर जा बैठी. वीर चला गया था. महक को समझ ही नहीं आ रहा था कि क्या करे. थोड़ी देर में कुर्ता पायजामे पहने बहुत ही शालीनता से शौर्य ने दरवाज़ा खोला, बहुत ही धीरे से बंद किया और प्यार से कहा – हैलो.

वो अभी तक ठीक से होश में नहीं आ पाई थी. शौर्य ..कहते हुए वो उसके सीने से लिपट गई, उसका रोना महसूस करते ही शौर्य चौंक गया –क्या हुआ ? उसने सिर्फ़ कहा –वीर.. .शौर्य ने हंसते हुए कहा ,अरे बाबा, तुम दिन की इतनी सी बात को अब तक दिल से लगा कर बैठी हो ,ऐसा कुछ भी नहीं वीर दिल का बहुत अच्छा लड़का है. वो कभी कुछ गड़बड़ नहीं करेगा. महक ने उस  वक्त वह बात बताना ठीक नहीं समझा. थोड़ी देर में शौर्य प्यार करते हुए आगे बढ़ रहा था.. वो मदहोश सी होने लगी..

वक्त बीत रहा था, लेकिन महक को वीर की आंखों से डर लगता था. एक बहशीपन नज़र आता.. वीर की आंखें उसके उभारों को चीरती सी लगती. आते जाते भी उसे टच करने की कोशिश करता रहता लेकिन शौर्य और उसकी मां को वीर पर बढ़ा भरोसा था, इसलिए वो कुछ कह नहीं पा रही थी. एक रात जब शौर्य शहर से बाहर था तब भी वीर ने कमरे में देर रात घुसने की कोशिश की लेकिन उसने दरवाज़ा ही नहीं खुला. अगले दिन पता चला कि शौर्य का वहां एक्सीडेंट हो गया. चार महीने लगे थे शौर्य को ठीक होने में .




MUST READ: हल्की हंसी का जवाब मुश्किल में बदल गया..

 

शौर्य के ठीक होने की खुशी में उस रात घर में पार्टी रखी गई थी और शौर्य घर पर नहीं था. उसका दिल ना जाने क्यों घबरा रहा था तभी मोबाइल पर घंटी बजी, शौर्य के फिर से एक्सीडेंट की ख़बर के साथ. जब वो दौड़ कर बाहर आई तो वीर अपने दोस्त से बात कर रहा था.

“बस, बहुत हो गया यार, हर बार शौर्य कैसे बच जाता है,क्या करते हो तुम लोग. मैं नहीं रह सकता महक के बिना, उसका रुप और यौवन मुझे पागल कर देता है. मां ने एक गलती की तो उसकी सजा मैं भुगत रहा हूं, लेकिन अब और नहीं चलेगा , आज मैं इस खेल को खत्म कर दूंगा. तब तक महक वहां पहुंच गई थी, चिल्ला कर बोली –ऐसा तुम नहीं कर सकते. आज सबको तुम्हारी हकीकत बता दूंगी. वीर उस पर झपटा, तब तक शौर्य भी आ गया. शौर्य को कुछ समझ ही नहीं आया, उसने दोनों को अलग करने की कोशिश की कि तब तक गोली चल गई..

 

(कहानी के असली पात्रों के नाम बदल दिए गए हैं. यदि आपके पास भी है कोई कहानी तो हमें लिख . हम आपकी कहानी भी प्रकाशित करेंगें.)

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