जूली जयश्री:
थियेटर आर्टिस्ट Sudha Jha उन सभी महिलाओं के लिए एक प्रेरणास्रोत हैं जो शादी और बच्चे होने के बाद अपने करियर का अंत समझ लेती हैं. उन्होंने इस बात को बखूबी साबित कर दिखाया है कि अगर सच्ची लगन और आत्मविश्वास हो तो किसी भी उम्र में शुरुआत की जा सकती है.
मिथिलांचल के दरभंगा की रहने वाली सुधा के मन में एक्टिंग और नृत्य के प्रति आकर्षण बचपन से ही था पर पिता ने इस इच्छा को पनपने से पहले ही दबा दिया गया था.

सुधा कहती हैं कि पिताजी ने साफ कर दिया था कि मिथिलांचल की बेटियां नृत्य नहीं करती. पिता के सख्त अनुशासन की वजह से भले ही वो उस समय मैं अपना मनपसंद करियर नहीं बना पाई लेकिन ये उनके कठिन अनुशासन का पाठ ही था जिसने मुझे बाद में आगे बढने का हौसला दिया.
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सुधा का एक्टिंग के क्षेत्र में आना महज एक संयोग भर था. 2010 में आए सौभाग्य मिथिला चैनल को अपने धारावाहिक के लिए महिला कलाकारों की जरुरत थी, काम का अवसर देखकर पति ने सुधा को एक्टिंग के लिए प्रेरित किया.
अब तक वे तीन बच्चों की मां थी उनके लिए अब ये सब इतना सहज नहीं था फिर भी पति के भरोसे ने उनके अंदर भी उम्मीद जगा दी यहीं से उन्होंने एक्टिंग में कदम रखा और इसके बाद से कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा.

आठ साल के करियर में अब तक उन्होंने मैथिली थिएटर के साथ साथ कई भोजपुरी सिनेमा, भोजपुरी और हिंदी टीवी सीरियल में काम कर चुकी हैं. वे मैथिली थिएटर और मैथिली सिनेमा का एक जाना पहचाना नाम है. उनकी बेटी निशा झा भी मां के नक्शेकदम पर चलते हुए इसी क्षेत्र में अपनी किस्मत आजमा रही हैं.
सुधा थिएटर और सिनेमा के साथ-साथ वे ‘ग्राम ज्योति’ नाम से एक एनजीओ भी चलाती हैं जो महिलाओं के स्वास्थ को लेकर काम करती है. सुधा कई पुरस्कारों से भी सम्मानित हो चुकी हैं. 2015 मे उन्हें 8th national women excellence award से सम्मानित किया गया.
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वो कहती हैं कि एक कलाकार होने के नाते में इस बात को ज्यादा करीब से महसूस करती हूं कि मैथिल समाज अब भी कला के प्रति बहुत दोयम नजरिया रखा जाता है जिसकी वजह से मैथिली नाटक या सिनेमा अन्य क्षेत्रीय फिल्मों से काफी पिछड़ा हुआ है. मिथिलांचल में कला की कमी नहीं लेकिन इसे बढावा देने वाली मानसिकता का घोर अकाल है.
सुधा मानती हैं कि महिलाओं को लेकर स्थिति कमोवेश हर जगह बराबर है .इस क्षेत्र में अपने शर्तों और मूल्यों के साथ जगह बनाना और कठिन है लेकिन यदि आपका खुद पर भरोसा हो तो देर सवेर सफलता मिल ही जाती है.
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