सुमन खरे:
कानपुर की कानून व्यवस्था संभाल रही DIG, सोनिया सिंह जब एक सितंबर को रुट मार्च पर निकली तो लोग हैरान रह गए. उनके साथ डीएम सुरेंद्र सिंह भी थे. दोनों अफसरों के पीछे भारी पुलिस फोर्स भी थी. आज बकरीद है और इस मौके पर कानून व्यवस्था किसी भी तरह नहीं बिगड़े इसकी जांच के लिए दोनों बाइक पर सवार हो कर निकले.
डीआईजी सोनिया सिंह ब्लैक चश्मा पहनकर एक महिला दरोगा के पीछे बाइक पर बैठी थीं. उनकी इस शैली को देखकर लोगों की जुबान पर उनके Action की चर्चा थी और लोग तारीफ कर रहे थे.
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2003 बैच की आईपीएस सोनिया सिंह अपनी तेजतर्रार छवि के लिए जानी जाती हैं. उन्हें मई 2017 में शहर का नया कप्तान बनाया गया. शहर में कानून का राज हो और लोगों में इसके प्रति भरोसा बढ़े इसके लिए सोनिया सिंह एक तरफ जहां अपने मातहतों के साथ नई रणनीतियों पर काम कर रही हैं वहीं थानेदारों और पुलिसवालों पर भी नजर बनाए हुए हैं. अपनी सख्त छवि के कारण ही उन्हें इलाके की लेडी सिंघम के रुप में भी जाना जाता है. उनकी अगुआई में नेतृत्व में सभी थाना अध्यक्षों अपने थाना क्षेत्रों में पैदल गस्त और सघन चेकिंग कर जनता में सुरक्षा का अहसास दिलाने की कोशिश कर रहे हैं.
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जून में उन्होंने महिलाओं की शिकायत पर चमनगंज इलाके में शराब की दुकानों पर रेड की और दुकानदारों को चेतावनी दी कि यदि उनकी दुकान के बाहर या अंदर कोई शराब पीता दिखेगा तो न केवल दुकान का लाइसेंस रद्द होगा बल्कि उन्हें जेल भी जाना होगा. महिलाओं की शिकायत थी कि दुकान के बाहर शराब पीनेवाले अक्सर महिलाओं के साथ छेड़छाड़ करते हैं.
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जुलाई में उन्होंने 600 स्पेशल पुलिस अफसरों की कार्यशैली ठीक नहीं होने के कारण उन्हें बर्खास्त कर दिया. उनका कहना था कि इस एसपीओ का गठन पुलिस विभाग को सहयोग करने के साथ आपराधिक गतिविधियों पर नजर रखना था लेकिन खुद इनकी कार्यशैली ठीक नहीं रही.