संयोगिता कंठ:
महिलाओं को लेकर इस साल की सबसे विवादास्पद माने जाने वाली फ़िल्म lipstic Under My Burkha जुलाई में आने वाली है. बारिश के मौसम से पहले इस फ़िल्म के बादलों की आवाज़ ने फिल्म सेंसर बोर्ड को परेशान कर दिया है और संस्कृति के नाम पर रोक-टोक और कांट-छांट करने वाले सेंसर बोर्ड के पास कोई रास्ता नहीं बचा है. यानी अब आप तैयार हो जाइए हिम्मत दिखाने की मतलब इस फ़िल्म को देखने के लिए.
लगता है कि इस फ़िल्म ने अपने पोस्टर के साथ अब नए ट्रेलर को लेकर सेंसर बोर्ड को ओपन चैलेंज दे दिया है. सेंसर बोर्ड ने फिल्म के बहुत ज्यादा फीमेल सेंसेटिव होने की वजह बताते हुए इस पर रोक लगाने की कोशिश की थी. लेकिन सेंसर बोर्ड का ये फ़ैसला फ़िल्म प्रोड्यूसर्स के लिए असल में फायदेमंद साबित होता दिख रहा है.
एकता कपूर के प्रोडक्शन हाउस बालाजी मोशन पिक्चर्स के बैनर तले बनी अलंकृता श्रीवास्तव की इस फिल्म ‘lipstic Under My Burkha’ के चर्चाओं में होने की वजह ये एक फेमनिस्ट ड्रामा फिल्म है, जो छोटे शहर की चार महिलाओं की सैक्सुअल डिजायर्स यानी यौन इच्छाओं पर आधारित है. लेकिन सेंसर बोर्ड ने इतनी बोल्डनेस को मंज़ूर नहीं किया और इस साल फरवरी में इस फिल्म को सर्टिफिकेट देने के बजाए बैन ही कर दिया.
इस पर फिल्म प्रोड्यूसर सेंसर बोर्ड के इस फैसले को चुनौती देते हुए फिल्म को Film Certification Appelate Tribunal के पास लेकर गए, जहां ट्रिब्यूनल ने सेंसर बोर्ड को फिल्म को ‘A सर्टिफिकेट देकर रिलीज करने का आदेश दे दिया. ज़ाहिर है. अब ये फिल्म 21 जुलाई को रिलीज होगी .
फ़िल्म समीक्षकों का मानना है कि ये फिल्म बोल्डनैस की नई परिभाषा लिख सकती है. इसके ट्रेलर ने रियलिटी और कहानी को एक साथ जोड़ने की कोशिश की है. फ़िल्म का हाल में रिलीज हुआ दो मिनट का ये ट्रेलर अखबारों की सुर्खियों से शुरू होता है और उसके बाद एक स्लोगन आता है, जो कहता है- ‘साल की सबसे विवादास्पद फिल्म आ गई है.’
इस ट्रेलर में सेंसर बोर्ड से मिली हर नेगेटिव रिव्यू को भी शामिल किया गया है. ट्रेलर सेंसर बोर्ड का ज़िक्र करते हुए दिखाता है कि- ‘उनका कहना था कि इसमें बहुत ही ज्यादा सेक्स सीन हैं’ और ‘ये फिल्म वो देखना नहीं चाहते’. ट्रेलर के आख़िर में एक लड़की पूछती है, ‘हमारी आज़ादी से आप इतना डरते क्यों हैं?’
lipstic Under My Burkha फिल्म की कहानी कुछ ऐसे महिलाओं के जीवन को दिखाती है जो बुर्के के अंदर अपने-अपने छोटे सपनों को पूरा करने के लिए जद्दोजहद कर रही है. कहानी कल्पनाओं पर आधारित है. फिल्म में रत्ना पाठक, कोंकणा सेन,आहना कुमार लीड रोल में है. सेंसर बोर्ड ने भले ही इस फिल्म पर एतराज जताया हो लेकिन अपने जोरदार कंटेट के कारण यह फिल्म रिलीज होने से पहले ही कई पुरस्कार बटोर चुकी है. इसे टोक्यो इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल का स्पिरिट ऑफ एशिया अवार्ड मिल चुका है और मुंबई फिल्म फेस्टिवल में भी इस फिल्म को पुरस्कार दिया जा चुका है.