जूली जयश्री:
बच्चों की गर्मी की छुट्टियां शुरु हो गई हैं. लेकिन अब वो दिन गए जब बच्चे दादा-दादी या नाना-नानी के पास जाया करते थे, आम के बगीचों में जाते थे दोस्तों के साथ खूब खेलकर मौज मस्ती किया करते थे. आज कल खासतौर पर महानगरों में बच्चों की छुट्टियां का मतलब तो केवल बच्चों को Summer Camp भेजना या Extra Activities करवाना रह गया है.
बच्चों की छुट्टियां शुरु होती नहीं कि Summer Camp में भेजने की तैयारी कर ली जाती है. पेरेंटस और बच्चों के मनोविज्ञान को समर कैंप वाले भी अच्छी तरह जानते हैं इसलिए उनसे मोटी फीस वसूली जाती है.
ऐसे में जो पेरेंट्स समर कैंप की मंहगी फीस नहीं भर पाते या किसी और कारण से बच्चों को कोई Extra Activities नहीं करवा पाते वे मानकर चलते हैं कि उनके बच्चों की छुट्टियां बर्बाद हो रही है या फिर उनके बच्चे कांपिटिशन में पीछे छूट जाएंगे.
पर क्या वाकई बच्चों के समय को सार्थक बनाने का या उन्हें हुनरमंद बनाने का एकमात्र जरिया मोटी फीस भरकर घर से बाहर किसी क्लास या Summer Camp में बाहर भेजना रह गया है.
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इस बारे में समाजशास्त्री डॉ नीलम सक्सेना मानती हैं कि इस में कोई दो राय नहीं कि आज के दौर में पैरेंट्स से लेकर बच्चों तक के पास समय की कमी है इसलिए बच्चों को समर कैंप में भेजा जाता है ताकि बच्चे मां-बाप को परेशान नहीं करें.
दूसरी तरफ कांपिटिशन इतना बढ़ गया है कि पढाई के साथ साथ एक्ट्रा कैरिकुलर में भी आगे रहना समय की जरुरत है और एक माता-पिता अपनी तरफ से बच्चों के लिए हर साधन जुटाने की कोशिश करते हैं, लेकिन इन सबके बीच हम बच्चों में भावनात्मक विकास, आत्मनिर्भरता या सोशल वैल्यूज समझाने की अहमियत को नजरअंदाज कर जाते हैं.
गर्मी की छुट्टियां ही वो मौका है जब आप खेल-खेल में बच्चों को मनोरंजन के साथ ही बहुत कुछ दे सकते हैं. इसके लिए जरुरी है कि इस दौरान आप बच्चों को भरपूर समय दें.
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सामान्य दिनचर्या और सोशल साइट्स से दूरी बनाकर बच्चों के साथ एक ऐसी टीम बनाएं जिसके लिए रोज कुछ न कुछ टारगेट फिक्स कर सकें. याद रखें इस दौरान रिवार्ड या एप्रिशिएशन देना ना भूलें.
समर कैंप की बजाए घर में ही कैसे बनाएं बच्चों की छुट्टियां सार्थक
– बच्चों के साथ इनडोर या आउटडोर खेलें ,खेल खेल में उन्हें टीम वर्क या लिडरशिप समझाने परफोकस करें .
– बच्चों के साथ गार्डनिंग करें .उन्हें पुराने डब्बों से गमला बनाने या पुराने गमलों को डेकोरेट करने की जिम्मेदारी दें और उन्हें पार्यावरण की अहमियत समझाएं. उन्हें सुबह-शाह पौधों में पानी डालने के लिए कहें.
– कवर्ड सजाने ,बुक सेल्फ ठीक करने या फिर अपना अपना कमरा सजाने जैसे छोटे-छोटे निजी काम को करने की ड्यूटी दें. इससे बच्चों में मैनेजमेंट क्वालिटी डेवलप होगी.
– उन्हें अपने जरुरी सामान की लिस्ट बनाने को कहें. घर का सामान खरीदने के लिए उन्हें बाजार जाने से पहले बजट बनाने को भी कह सकते हैं.
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– बच्चों के साथ स्टोरी टेलिंग, डायरी लिखना, कोलाज बनाने या फिर कोई माइंड गेम में वक्त बिताएं .
– रिश्तेदारों या दोस्तों से मिलवायें. इससे उनमें रिश्तों की समझ बढेगी. उनके दोस्तों के लिए लंच या डिनर का इंतजाम करें.
– आसपास के ऐसे महत्वपूर्ण जगहों की सैर करवाएं जहां वे अब तक नहीं गए हों और उसके बारे में जानकारी भी दें .
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