अंशुमन आनंद:
जीवनसाथी के सम्मान की बात हम अक्सर करते हैं. Mahadeva भी जग को सिखाते हैं जीवनसाथी का सम्मान करना. आज के युग में महिलाओं के सम्मान पर बेहद चर्चा होती है. सब जानते हैं कि महिलाओं को सम्मानपूर्वक सुरक्षित माहौल दिया जाए, तो वे अद्भुत कार्य कर सकती हैं.
आपको आश्चर्य होगा कि सृष्टि में सबसे पहले महिला सशक्तिकरण की अलख भी Mahadeva ने ही जगाई थी. भोलेनाथ ने अपनी पत्नी से इतना प्रेम, समर्पण और बराबरी का भाव रखा कि उन्हें योगबल से अपने आधे शरीर का हिस्सा बना लिया.
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इस रूप में आधे भगवान शिव हैं और आधे माता पार्वती. माता पार्वती ही महाशक्ति हैं जिससे हमारी प्रकृति बनी है. अर्धनारीश्वर रूप यह दर्शाता है कि प्रकृति और पुरुष के संयोग के बिना महाशक्ति अर्जित नहीं की जा सकती.
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स्वयं शिव भी शक्ति के वियोग में शव स्वरुप हो जाते हैं. महादेव के इसी प्रेम,सम्मान और समर्पण के प्रतिदान स्वरुप माता पार्वती कई बार अपने पूर्ण शक्तिशाली आदिशक्ति स्वरुप दुर्गा के रुप में प्रकट हुईं और समस्त संसार का रक्षण और पोषण किया.
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