इंसान किससे आगे बढ़ता है KARMA से या BHAGYA से?

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Karma
Karma or Bhagya what is important for a man to go forward

एक चाट वाला था.  जब भी उसके पास चाट खाने जाओ तो ऐसा लगता कि वह ग्राहकों का ही रास्ता देख रहा हो. हर विषय पर उसको बात करने में उसे बड़ा मज़ा आता था. लोग उससे कई बार कहते- भाई देर हो जाती है, जल्दी चाट लगा दिया करो पर उसकी बात ख़त्म ही नहीं होती. एक दिन अचानक एक ग्राहक के साथ Karma और Bhagya पर बात शुरू हो गई.




तक़दीर और तदबीर की बात उस ग्राहक ने सुन रखी थी, सोचा चलो आज उसकी फ़िलॉसफ़ी देख ही लेते हैं. ग्राहक ने उससे एक सवाल पूछ लिया- ये बताओ भाई इंसान मेहनत से आगे बढ़ता है या भाग्य से?  उसने जो जवाब दिया वह जबाब सुन कर ग्राहक के दिमाग़ के सारे जाले ही साफ़ हो गए.




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वो चाट वाला ग्राहक से कहने लगा आपका किसी बैंक में लॉकर तो होगा ? उसने कहा हां तो उस चाट वाले ने कहा की उस लॉकर की चाभियां ही इस सवाल का जवाब है. हर लॉकर की दो चाभियां होती हैं. एक आप के पास और एक मैनेजर के पास.




आप के पास जो चाबी है वह है परिश्रम और मैनेजर के पास वाली भाग्य. जब तक दोनों चाभियां नहीं लगतीं लॉकर का ताला नहीं खुल सकता. आप कर्मयोगी पुरुष हैं और मैनेजर भगवान.

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अाप को अपनी चाबी भी लगाते रहना चाहिए. पता नहीं ऊपर वाला कब अपनी चाभी लगा दे. कहीं ऐसा न हो कि भगवान अपनी भाग्यवाली चाभी लगा रहा हो और हम परिश्रम वाली चाभी न लगा पाएं और ताला खुलने से रह जाए.

Karma

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