सुमन बाजपेयी:
वरिष्ठ लेखिका.
एलबम में अपनी और राहुल की फोटो देखते हुए प्रिया की आंखेंï भर आईं. निजी क्षणों की सुखद यादें उसे सिहरा गईं. कितने प्यारे दिन थे. वे एक-एक पल एन्ज्वॉय करते थे. छेड़छाड़, मस्ती…उनकी Married Life बहुत खुशनुमा थी. एलबम एक तरफ रख प्रिया सोच मे डूब गई. कहां गए वे सुखद दिन, वह हंसी, वह खुशी Excitement प्यारे दिन?
वे एक-एक पल एन्ज्वॉय करते थे. छेड़छाड़, मस्ती…जिंदगी बहुत खुशनुमा थी. कभी एक-दूसरे को देखते ही यहां तक कि एक-दूसरे के बारे मे सोचते ही होंठों पर मुस्कान बिखर जाती थी.
आज भी लोग उन्हेंï एक Happy Married Couple ही मानते हैं. दो प्यारे बच्चे और सुख-सुविधा की हर चीज है उनके पास।. बस कमी है तो टाइम की. उन्हें एक साथ बैठकर हंसे न जाने कितना समय बीत गया है.
रोजमर्रा की जरूरी बातों के सिवाय वे और कोई बात नहीं कर पाते. प्रिया को यह भी याद नहीं आखिरी बार कब साथ बैठकर उन्होंïने प्यार की बातेंï की थीं. यहां तक कि सेक्स लाइफ में भी कोई Excitement नहीं रहा है. प्रिया अपने विवाहित जीवन को नीरस मानती हैं.
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वैवाहिक सलाहकार इस तरह की Married Life को बिखरी हुई मानते हैं. बाहर से तो ऐसा रिश्ता बहुत गहरा लगता है पर भीतर का प्यार धीरे-धीरे कम होने लगता है. पता भी नहीं चल पाता कि कब अलग होने का समय आ गया. रिश्ते से रोमांस जानबूझकर नहीं अनजाने में की गई गलतियों से खत्म होता है.
एकल परिवार, पति- पत्नी दोनों के नौकरी करने और महत्वाकांक्षाओं की पूर्ति की चाह में व्यस्तता इतनी बढ़ गई है कि वे अपने लिए समय ही नहीं निकाल पाते हैं. पहले संयुक्त परिवार होने के कारण साथ रहने की भावना थी.
पति- पत्नी को साथ बैठने का समय तो मिलता ही था, वे बुर्जुगों से अपनी प्रॉब्लम भी डिस्कस कर लेते थे. आज हर सुख-सुविधा पा लेने की चाह के कारण पति- पत्नी के बीच तनाव बढ़ गया है. जरूरी है कि खुशी और मैरिड लाइफ में तनावमुक्त वातावरण को फिर से लाया जाए.

हफ्ते मेंï एक दिन जरूर ऑफ रखें. छुट्टी लेने का अर्थ यह नहीं कि आपके दिमाग मे आफिस की बातें घूमती रहें. आप मूवी या प्ले देखने जा सकते हैं. घर बैठकर म्यूजिक सुन सकते हैं. रिलैक्स्ड रहने से रिश्ता गहरा होगा.
विवाह के कुछ समय बाद पति-पत्नी लाइफ को एक रुटीन की तरह जीने लगते है. टेक इट फॉर ग्रांटेड की लय पर उनका जीवन चलने लगता है. घर के खर्चों पर बात करना, बच्चे के स्कूल मे PTM अटेंड करना और अन्य दायित्वों को पूरा करना ही मात्र लक्ष्य रह जाता है.
इन सबके बीच अपनी भावनाओं को नजरअंदाज करते हुए वे ये भूलने लगते हैï कि छोटी-छोटी ऐसी बातें जो बेमानी लगती हैं, उनका जिंदगी मेंï कितना महत्व होता है.
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मनोवैज्ञानिक मानते हैं कि आपके पास समय होगा तभी आप प्लान बनाएंगे. जब मन करे बिना कुछ सोचे लांग ड्राइव पर निकल जाएं. आप कहीं दूर नहीं जा सकते तो किसी नजदीकी पार्क में चले जाएं. प्राकृतिक वातावरण में आप बहुत-सी बातें डिस्कस कर सकते हैं.
लंबे समय तक बात न करने से Communication Gap आ जाता है. पति- पत्नी बिना कहे ही सब कुछ समझने की उम्मीद रखने लगते हैं. जब भावनाएं व्यक्त नहीं होंगी तो झगड़ा होना स्वाभाविक ही है.
कुछ समय अपनी बात कहने के लिए निकालना जरूरी है. आप कहां गए, क्या किया, यह मायने नहीं रखता. बाहर जाने का मतलब सिर्फ यही है कि पति-पत्नी ने साथ समय गुजारा. यही समय उन दोनों के बीच की दूरी व नीरसता कम कर एक्साइटमेंट बनाए रख सकता है.
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