Share on Facebook
Tweet on Twitter
Haryana government advertisement created controversy
Haryana government advertisement created controversy

प्रतिभा ज्योति:

लगता है हरियाणा सरकार दिखावे के लिए ही बेटी पढ़ाओ, बेटी बचाओ की बात करती रहे या फिर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को खुश करने के लिए कोई कार्यक्रम लड़कियों के लिए करती रहे, लेकिन उसकी सोच में कोई बड़ा बदलाव नहीं आया है. हरियाणा की बीजेपी सरकार के लिए लड़कियों  की शान घूंघट में रहने से ही है और घूंघट ही हरियाणा का शान भी है. राज्य सरकार की एक पत्रिका संवाद में एक विज्ञापन छापा गया है जिसकी तस्वीर पर लिखा है ‘घूंघट की आन-बान, म्हारे हरियाणा की पहचान’. जिस पर विवाद शुरु हो गया है.




तस्वीर के साथ लगे कैप्शन में ‘घूंघट’ को ‘राज्य की पहचान’ बताया गया है. राजनीतिक हलकों और सोशल मीडिया पर लगातार उस विज्ञापन को लेकर सरकार की तीखी आलोचना हो रही है, लेकिन सरकार ने अभी उस विज्ञापन को वापस नहीं लिया है. विपक्षी पार्टियों का कहना है कि यह भाजपा सरकार की ‘पिछड़ी’ सोच को दिखाता है.लेकिन सरकार में  वरिष्ठ मंत्री अनिल विज ने कहा है कि बीजेपी सरकार ने महिला सशक्तिकरण के लिए कई कदम उठाए हैं और वह इस बात का समर्थन नहीं कर रही कि महिलाओं को ‘घूंघट’ रखने के लिए विवश किया जाना चाहिए. कांग्रेस के प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने इस विज्ञापन को सत्ताधारी भाजपा सरकार की पिछली सोच बताया है.




वहीं स्टार रेसलर गीता फोगाट ने कहा है कि यह विज्ञापन उस मानसिकता का प्रतीक है जिसकी वजह से लड़कियां आगे नहीं बढ़ पाती हैं. गीता फोगाट की तरह हरियाणा की कई लड़कियों ने खेलों और अन्य क्षेत्रों में अपनी छाप छोड़ी है. अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री दिवंगत कल्पना चावला भी हरियाणा से ही थीं. कुछ दिनों पहले ही हरियाणा की लड़की मानुषी छिल्लर फेमिना मिस इंडिया 2017 बनीं है.  




कृषि संवाद नामक पत्रिका के नए अंक में घूंघट वाली महिला की तस्वीर छपी है. महिला अपने सिर पर चारा लेकर जा रही है. यह पत्रिका राज्य सरकार की मासिक पत्रिका हरियाणा संवाद की एक परिशिष्ट है. पत्रिका के मुख्य पृष्ठ पर मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर की तस्वीर छपी है. सोशल मीडिया पर भी इसको लेकर काफी विरोध हो रहा है. गीता यथार्थ ने सवाल करते हुए कहा है कि तुम कच्छे बनियान पहनकर गांव नाप लो,  हम घूंघट निकाल ले. अपने फेसबुक पेज पर गीता यथार्थ ने लिखा है कि एक घूंघट सरकार भी निकाल ले, 
जनता के सामने आने से पहले..!!

सवाल ना तो सिर्फ विज्ञापन का है और ना ही हरियाणा का, सवाल है सोच का. क्या इस सोच से आगे निकलना मुश्किल है?  क्या औरतों को घूंघट में ही रखने से शान बढ़ती है. अगर वाकई ऐसा है तो फिर शर्मनाक है…