प्रतिभा ज्योति:
उन्हें गुलमोहर से प्यार है, वे उसके प्रेम में डूबी हैं.
उत्तराखंड के हल्द्वानी की रहने वाली तनुजा जोशी जब भी किसी सड़क से गुजरती हैं तो पहले वहां की मिट्टी और वातावरण जांचने के लिए रुक जाती हैं और अगले ही दिन गुलमोहर का पौधा लेकर पहुंच जाती है. पर्यावरण प्रेमी तनु तीन साल में अकेले ही 300 पौधा पूरे शहर में लगा चुकी हैं और 17 जून को वे ‘गुलमोहर डे’ भी मना रही हैं. इसके लिए वे लोगों को पौधों का दान करने और उसके रख-रखाव के लिए एकजुट करने की कोशिश कर रही हैं.
शुरु में लोगों का सहयोग नहीं मिला लेकिन अब लोग उनके काम को जान चुके हैं और पर्यावरण और गुलमोहर के प्रति उनकी दीवानगी देखकर उनके साथ आने लगे हैं. 17 जून को ‘गुलमोहर डे’ मनाने के लिए वे जनसंपर्क में जुटी हैं और लोगों से जमीन, पौधा और श्रमदान करने की गुजारिश कर रही है.
तनु को बचपन से ही पौधों से बहुत प्यार था. स्कूल के दिनों में भी वे अपने साथियों के साथ पौधे लगाया करती थीं. गुलमोहर से इतना प्यार क्यों है? इसके जवाब में वे कहती हैं कि देखिए न कितना सुंदर होता है यह पेड़ फूलों से लदा जिसे देखते ही रहने का मन करे. यदि पूरे शहर में गुलमोहर लगा दें तो लगेगा कि फूलों के शहर में आ गए हैं, दूसरी बात जो है गुलमोहर ऐसा पेड़ है जिसकी लकड़ी किसी के काम नहीं आती यहां तक कि चूल्हा जलाने या पर्यावरण में भी इसका उपयोग नहीं होता, ऐसे में इन पेंड़ों के कटने का खतरा कम है लेकिन पर्यावरण को फायदे बहुत हैं. वे चाहती हैं कि 2018 में नेशनल गेम होने वाले हैं ऐसे में उनके शहर की खूबसूरती में गुलमोहर चार चांद लगाए.

वे जहां पेड़ लगाती हैं वहां के लोगों को उसकी देखभाल के लिए जागरुक करती हैं, खुद भी पौधे की देखभाल करती हैं. हालांकि कई बार जब वे रोड के किनारे पौधे लगाने अकेले ही जाना पड़ता है. वे स्कूलों के बच्चों को भी पौधारोपण में शामिल करना चाहती हैं लेकिन दो-तीन स्कूल से ही अच्छा रिस्पांस मिला है.
तनु ने अपने शहर के गौलापार क्षेत्र में दो किलोमीटर के दायरे में खूब सारे बीज बोए हैं. उनका लक्ष्य है कि अगले पांच साल में शहर की मुख्य शहरों के किनारे एक हजार से अधिक पेड़ लगाए जाएं.
सेल्फ रिलायंस इनीसिएटिव संस्था के जरिए सामाजिक कार्य करने वाली तनु महिला सश्कितकरण के लिए भी काम कर रही हैं. वे जल्दी ही मशरुम उगाने को लेगकर महिलाओं को ट्रेनिंग देने की योजना भी बना रही हैं जिससे महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाया जा सके.
गुलमोहर की खासियत
इसके जड़ों में राइजोबियम बैक्टीरिया पाए जाते हैं. जो नाइट्रोजन फिक्सेशन में मददगार होते हैं.
आर्युवेद में भी इसे दवाइयां बनाने के लिए बहुत उपयोगी माना जाता है.