वीरेंद्र सिंह सोलंकी:
Next Time कहीं बाहर जाएं तो सोचिएगा. कुछ दिन पहले एक परिचित दावत के लिये उदयपुर के एक मशहूर रेस्टोरेंट में ले गए. मैं अक़्सर बाहर खाना खाने से कतराता हूं किन्तु सामाजिक दबाव तले जाना पड़ा. आजकल पनीर खाना रईसी की निशानी है इसलिए उन्होंने कुछ डिश पनीर की ऑर्डर की. प्लेट में रखे पनीर के अनियमित टुकड़े मुझे कुछ अजीब से लगे. ऐसा लगा की उन्हें कांट छांट कर पकाया है.
मैंने वेटर से कुक को बुलाने के लिए कहा, कुक के आने पर मैंने उससे पूछा पनीर के टुकड़े अलग अलग आकार के व अलग रंगों के क्यों हैं तो उसने कहा ये स्पेशल डिश है.” मैंने कहा की मैं एक और प्लेट पैक करवा कर ले जाना चाहता हूं लेकिन वो मुझे ये डिश बनाकर दिखाए.
सारा रेस्टोरेंट अकबका गया…बहुत से लोग थे जो खाना रोककर मुझे देखने लगे. स्टाफ तरह-तरह के बहाने करने लगा. आखिर वेटर ने पुलिस के डर से बताया की अक्सर लोग प्लेटों में खाना,सब्जी सलाद व रोटी इत्यादी छोड़ देते हैं. रसोई में वो फेंका नही जाता. पनीर व सब्जी के बड़े टुकड़ों को इकट्ठा कर दुबारा से सब्जी की शक्ल में परोस दिया जाता है.
प्लेटों में बची सलाद के टुकड़े दुबारा से परोस दिए जाते है. प्लेटों में बचे सूखे चिकन व मांस के टुकड़ों को काटकर करी के रूप में दुबारा पका दिया जाता है. बासी व सड़ी सब्जियां भी करी की शक्ल में छुप जाती हैं.
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फ्रिज से बदबू का भभका आ रहा था. डांटने पर रसोइये ने बताया की सब्जियां करीब एक हफ्ता पुरानी हैं. परोसने के समय वो उन्हें कुछ तेल डालकर कड़ाई में तेज गर्म कर देता है और धनिया टमाटर से सजा देता है. रोटी का आटा 2 दिन में एक बार ही गूंधता है. कई-कई घंटे जब बिजली चली जाती है तो खाना खराब होने लगता है तो वो उसे तेज़ मसालों के पीछे छुपाकर परोस देते हैं. रोटी का आटा खराब हो तो उसे वो नॉन बनाकर परोस देते हैं.
मैंने रेस्टोरेंट मालिक से कहा कि “आप भी कभी यात्रा करते होंगे, इश्वेर करे जब अगली बार आप भूख से बिलबिला रहे हों तो आपको बिल्कुल वैसा ही खाना मिले जैसा आप परोसते हैं” उसका चेहरा स्याह हो गया….
आज आपको खतरो, धोखों व ठगी से सिर्फ़ जागरूकता ही बचा सकती है क्योंकि भगवान को भी दुष्टों ने घेर रखा है. भारत से सही व गलत का भेद खत्म होता जा रहा है. हर दुकान व प्रतिष्ठान में एक कोने में भगवान का बड़ा या छोटा मंदिर होता है, व्यपारी सवेरे आते ही उसमे धूप दीप लगाता है, गल्ले को हाथ जोड़ता है और फिर सामान के साथ आत्मा बेचने का कारोबार शुरू हो जाता है. भगवान से मांगते वक़्त ये नही सोचते की वो स्वयं दुनिया को क्या दे रहे हैं.
जागरूक बनिये और कोई चारा नही है.
(साभार-फेसबुक वॉल से)