प्रतिभा ज्योति:
Ek Din Ka Mehman (एक दिन का मेहमान) जैसे ही घर आता है, तनाव पसर जाता है. घर की बच्ची चुपचाप है और घर की औरत दूसरे फ्लोर पर अपने कमरे में बैठी है. बच्ची पूछती है-‘क्या तुम फिर लड़ने आए हो’?
Ek Din Ka Mehman हैरान है कि उसके आने पर किसी को खुशी नहीं है. लड़की सवाल पूछती है कब वापस जाओगे? औरत उसके सूटकेस को देखकर सवाल करती है यह सामान क्यों ले कर आए हो…
यह दृश्य है निर्मल वर्मा की कहानी ‘Ek Din Ka Mehman’ पर आधारित नाटक का. कलाकारों के भावप्रण अभिनय और संवादगी की अदा ने दर्शकों के दिल को गहरे तक स्पर्श किया. कभी वे मुस्कुराए तो कभी आंखों में आंसू छलक आए.
नाटक का मंचन 17 जून की शाम गाजियाबाद के इंद्रप्रस्थ इंजीनियरिंग कॉलेज के ऑडिटोरियम में हुआ. नाटक का मंचन संस्कृति मंत्रालय के सहयोग से दस्तक संस्था ने किया. दस्तक संस्था का गठन 1998 में भोपाल के कुछ युवाओं ने किया था. पिछले 2 दशकों से सक्रिय इस सांस्कृतिक समूह ने कई अहम प्रस्तुतियां दी है.
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हिन्दी के आधुनिक कथाकरों में विशिष्ट, साहित्य अकादमी और ज्ञानपीठ समेत हिंदी साहित्य के कई सम्मान प्राप्त कथाकार निर्मल वर्मा की कहानी ‘एक दिन का मेहमान’ मध्यवर्गीय जीवन में पति-पत्नी के बीच के तनाव की सशक्त अभिव्यक्ति करता है.
‘एक दिन का मेहमान’ एक दिन के अंतराल में सिमटे कशमकश की कहानी है, जिसका अतीत से गहरा नाता है. इस कहानी में जहां एक ओर दांपत्य जीवन की दरार बहुत चौड़ी दिखाई देती है वहीं दूसरी ओर स्त्री और पुरुष के मन का द्वंद भी जाहिर करती है.
सालों बाद पत्नी के पास लौटा नायक जहां वक्त के फासले को पाटने की कोशिश करता है वहीं नायिका ने जो भोगा है उसके लिए उसे माफ करने को तैयार नहीं है. बेटी मां और पिता के बीच की वो कड़ी है जो रिश्तों को संवारने की आखरी कोशिश कर लेना चाहती है.
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नाटक का निर्देशन जाने-माने निर्देशक और अभिनेता सदानंद पाटिल ने किया है. 1987 से रंगमंच की शुरुआत करने वाले पाटिल ने 2004 में राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय से अभिनय में स्नातक की उपाधि हासिल की और एनएसडी रेपर्टरी में 6 साल तक बतौर अभिनेता कार्य किया.
कहानी का नाट्यरुपांतरण वरिष्ठ पत्रकार पशुपति शर्मा ने किया है. शर्मा ने नाटक में पति की भूमिका निभाई. मीडिया में व्यस्त रहते हुए भी वे रंगमंच पर अपनी भूमिकाओं का निर्वाह करते रहते हैं. वहीं पत्नी की भूमिका में माधवी शर्मा थी. माधवी ने दर्शकों पर अपने अभिनय की जबरदस्त छाप छोड़ी.
नाटक में बड़ी बेटी के क़िरदार में गौरिका शर्मा और छोटी बेटी की भूमिका में वेदाक्षी ने अपनी प्रस्तुति दी. वेदाक्षी से लेकर पशुपति शर्मा तक मानो सब अपने क़िरदार में ढल गए थे. सूत्रधार की भूमिका में मीडियाकर्मी कुंदन शशिराज ने भी अपनी संवाद अदायगी से दर्शकों को बांधे रखा. मंच सज्जा जूली जयश्री ने की.
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