अक्सर छोटे बच्चों को Silver के Spoon से खिलाया जाता है. खासकर बच्चे के नामकरण या अन्नप्राशन संस्कार के मौके पर. चांदी के बर्तन में बच्चों को खिलाना न केवल परंपरा से जुड़ा है बल्कि सेहत का राज भी इन्हीं बर्तनों में छुपा होता है.
जानिए चांदी की 5 खासियतें…
1-रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में चांदी मददगार होता है. यही वजह है कि पुराने जमाने में बच्चों को खिलाने-पिलाने के बर्तन चांदी के होते थे. खासतौर पर उनके लिए ऐसे बर्तन उपहार में दिए जाते थे जो कि घर की संपन्नता और अच्छे स्वास्थय दोनों के लिए होता था.
2-चांदी के बर्तनों में खाने की ताजगी बनी रहती है. खाने का स्वाद भी जल्दी ख़राब नहीं होता. वहीं चांदी के ग्लास में अगर लंबे समय तक तरल चीजों को रखा जाए फिर भी स्वाद में कोई बदलाव नहीं आता है.
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3-चांदी के बर्तनों में कीटाणुओं के पनपने की संभावना दूसरे बर्तनों के मुकाबले 88 फीसदी तक कम होती है. इनके बर्तन एक दफा साधारण तरीके से धुलने के बाद खाने-पीने के योग्य हो जाते हैं. यदि दिन में कई बार इन बर्तनों का इस्तेमाल करना है तो गरम पानी से धोकर भी इसका उपयोग हो सकता है, लेकिन स्टील और दूसरे धातुओं के बने बर्तनों के साथ ऐसा करना जोखिम भरा हो सकता है.
4-शरीर के तापमान को संतुलित रखने में चांदी का काफी योगदान होता है. इसके तत्व शरीर को सामान्य तापमान में रखने में मदद करते हैं. चांदी की शीतलता की वजह से ही बच्चों को चांदी के कड़े पहनाने का चलन भारतीय परंपरा में अपनाया गया.
5- चांदी के बर्तनों में मौजूद रसायन जहरीले तत्वों को खत्म कर सकते हैं. यह माना जाता है कि चांदी के बर्तन में खाने जहरीले तत्वों से बचाव हो सकता है. इसलिए खास तौर पर बच्चों को चांदी के कटोरे-चम्मच से खिलाया जाता है.