संयोगिता कंठ
क्या आपके बच्चे भी इस बार Board Exams देंगे? तो जाहिर है वे इस तैयारी में भी जुट गए होंगे. बच्चों के साथ-साथ पेरेंटस में भी बोर्ड एक्जाम्स को लेकर तनाव होना स्वाभाविक है, लेकिन आप अपने बच्चों को चेक कीजिए क्या उन पर Result का हौआ तो नहीं है?
इसका मतलब है कि क्या बच्चे तैयारी करने के बजाए लगातार यह तो सोचते नहीं रहते हैं कि कहीं उनके नंबर कम तो नहीं रह जाएंगे, कहीं वह फेल तो नहीं हो जाएगा/ जाएगी.
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किसी भी स्टूडेंट के लिए बोर्ड एक्जाम्स और रिजल्ट का बहुत मायने रखता है. ज्यों-ज्यों एक्जाम्स नजदीक आने लगता है बच्चा तनाव का शिकार होने लगता है और रिजल्ट को लेकर उसके मन में एक हौआ बैठ जाता है. पेंरेटस, टीचर सबकी यह अपेक्षा होती है कि बच्चा एक्जाम में अच्छा करे.
अच्छे रिजल्ट को ही आमतौर पर जिंदगी में सफल होने का पैमाना माना जाता है और कम नंबर आने को असफलता से जोड़ दिया जाता है. इससे बच्चे कई बार ग़लत कदम उठा लेते हैं और पेरेंटस बाद में पछताते हैं.
जबकि हमें बच्चों को यह बताना चाहिए कि रिजल्ट की चिंता छोड़ कर उसे अच्छी तरह एग्जाम की तैयारियों में जुट जाना चाहिए और अपनी मेहनत में कोई-कसर नहीं छोड़नी चाहिए.
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आईए आप भी चेक कीजिए कहीं आपके बच्चे पर भी तो रिजल्ट का हौआ नहीं है?
1-बच्चे की गतिविधि पर नज़र रखें. क्या कोई असामन्य हरक़त नोटिस कर रही हैं?
2-क्या उसे नींद नहीं आ रही है?
3-किसी से मिलना-जुलना पसंद नहीं है?
4-सिरदर्द की शिकायत रहती है?
5-चिड़चिड़ाहट, गुस्सा करना या आमतौर पर मूड खराब रहता है?
6- हमेशा नकारात्मक सोचना या बोलना उसकी आदत बन रही हो.
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ऐसे लक्षण दिखें तो क्या करें?
1-यदि आपको भी बच्चों में इस तरह के कोई लक्षण दिख रहे हों तो उनसे तुरंत बात कीजिए. उससे पूछिए कि क्या वह अपने रिजल्ट के बारे में सोच-सोच कर परेशान हो रहा है.
2-यदि ऐसा है तो उन्हें समझाएं कि वह रिजल्ट के बारे में ज्यादा नहीं सोच कर प्लानिंग से एग्जाम की तैयारी करें. आप इस काम में अपने बच्चों की मदद कर सकती हैं.
3-बच्चे को अपना दोस्त बनाएं और उनके साथ वह बातें शेयर करें कि आप किस तरह तैयारी करते थे, कैसे प्लानिंग करते थे.
4बच्चे की निंदा या तुलना किसी से नहीं करें. उसे बताएं कि उसे अपनी क्षमता पर भरोसा रखना चाहिए और मेहनत में थोड़ा और जोर लगा दें तो वह बहुत अच्छा कर सकता/ सकती है.
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5-कुछ दिनों के लिए घर का माहौल पूरी तरह बच्चे की परीक्षा को समर्पित कर दें. पढ़ाई के समय टीवी, इंटरनेट बंद कर दें लेकिन ध्यान रखें कि बच्चों को जेल की तरह नहीं रखें.
6-उन्हें थोड़ी देर खेलने के लिए बाह भेजें और कुछ देर के लिए अपना मनपसंद टीवी कार्यक्रम देखने दें.
7-बच्चों को पूरा प्यार और समय दीजिए. उन्हें ऐसा माहौल दें जिसमें वह बेझिझक अपने पेरेंटस के पास कोई भी समस्या लेकर आ सके.
8-लगातार उसका उत्साह बढ़ाए, बच्चे के साथ यह प्लानिंग करें कि उन्हें किस तरह तैयारी करनी है.
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