थलसेना ने लैंगिंक बाधाओं को खत्म करते हुए एक बड़ा कदम उठाया है. सेना में महिलाओं की भूमिका को बढ़ाने का एक महत्वपूर्ण फैसला किया गया है. अब थलसेना की Military Police में भी महिलाओं को शामिल किया जाएगा. क़रीब 800 महिलाओं सेना पुलिस में शामिल होंगी. सेना प्रमुख बिपिन रावत की अध्यक्षता में हुई बैठक में यह फैसला किया गया. इस साल 52 महिलाओं की नियुक्ति होगी.
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थलसेना के एडजुटेंट लेफ्टिनेंट जनरल अश्विनी कुमार के मुताबिक यह योजना थलसेना में लैंगिक बाधाओं को तोड़ने की दिशा में एक अहम कदम है. उन्होंने कहा कि इस योजना के तहत सैन्य पुलिस में करीब 800 महिलाओं को शामिल किया जाएगा. हर साल 52 महिला जवानों को हर साल शामिल करने की योजना है. सैन्य पुलिस में महिलाओं को जिम्मेदारी मिलने से लैंगिग अपराधों की जांच में भी मदद मिलने की संभावना है. सैन्य पुलिस में महिलाओं को शामिल करने की एक योजना को अंतिम रूप दे दिया गया है.
अभी महिलाओं को थलसेना की मेडिकल, कानूनी, शैक्षणिक, सिग्नल और इंजीनियरिंग जैसी चुनिंदा शाखाओं में काम करने की इजाजत दी जाती है. सैन्य पुलिस की भूमिका में छावनियों और थलसेना की इकाइयों की पुलिसिंग, सैनिकों की ओर से नियम-कायदों के उल्लंघन को रोकना और शांति और युद्ध के दौरान व्यवस्था से जुड़े इंतजाम करने सहित कई अन्य जिम्मेदारियां शामिल हैं.
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थलसेना की पुलिस में महिलाओं को शामिल करने की इस योजना को उनके लिए लड़ाकू भूमिकाओं को एक तरह से खोलने के कदम के रूप में देखा जा रहा है. यह घोषणा निर्मला सीतारमण के देश की पहली महिला रक्षा मंत्री के रूप में कार्यभार संभालने के एक दिन बाद की गयी है. उन्होंने सात सितंबह को अपना पदभार संभाला है. उम्मीद है रक्षा मंत्री निर्माल सीतारमण के बाद सेना में कुछ और ऐसे फैसले लिए जाएंगे जो कि महिला और पुरुष के बीच का भेद खत्म करने में सहायक हो.