नेपाल में चौपदी प्रथा के नाम पर महिलाओं की जान जाने का सिलसिला जारी है. इसी कुप्रथा के चक्कर में एक और लड़की अपनी जान से हाथ धो बैठी है. नेपाल के दैलेख जिले की 18 साल की तुलसी शाही को चौपदी के नाम पर एक झोपड़ी में रहने पर मजबूर किया गया जहां उसे दो बार सांप ने काटा और इसके बाद उसकी मौत हो गई. सांप काटने के बाद उसे अस्पताल न ले जाकर सपेरे के पास ले जाया और झाड़ फूंक का सहारा लिया गया. यह सब छह घंटे तक चला और हालत बिगड़ने पर जब तुलसी को अस्पताल ले जाया गया तो उसने दम तोड़ दिया.
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क्या है चौपदी
चौपदी नेपाल में बरसों से चली आ रही एक परंपरा है जिसमें पीरियड्स के दौरान लड़कियों और महिलाओं से अछूतों की तरह व्यवहार किया जाता है.
उन्हें अपने ही घर में रहने की इजाजत नहीं होती और घर से थोड़ी दूर झोपड़ी में उन्हें माहवारी के 5 दिन गुजारने पड़ते हैं.
इस दौरान उन्हें किसी भी सार्वजनिक कार्यक्रम में शामिल होने की इजाजत नहीं रहती.
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वह मंदिर नहीं जा सकती, किसी चीज को छू नहीं सकतीं. हैंडपंप, कुएं या तालाब से पानी नहीं भर सकतीं.
रसोई तो दूर उन्हें खाना देने वाला व्यक्ति भी इस बात का ध्यान रखता है कि खाना देते वक्त कहीं स्पर्श न हो जाए.
उन्हें जानवरों को चारा तक देना मना है. उन्हें शादी-ब्याह जैसे सामाजिक कार्यक्रमों में शामिल होने की इजाजत नहीं.
नेपाल के पश्चिमी इलाके में महिलाएं इस प्रथा के नाम पर यातना सहने को मजबूर हैं लेकिन कोई कदम नहीं उठाया जा रहा..
जानलेवा साबित हो रही चौपदी
नेपाल के पश्चिमी इलाके में महिलाएं इस प्रथा के नाम पर यातना सहने को मजबूर हैं लेकिन कोई कदम नहीं उठाया जा रहा. सिर्फ तुलसी नहीं कई महिलाओं को इसके कारण अपनी जान गंवानी पड़ी है. सांप काटने से लेकर जंगली जानवरों के हमले उनपर हो चुके हैं. झोपड़ी में अकेलेे रहने के कई महिलाएं बलात्कार का शिकार हो गईं. नेपाल के सुप्रीम कोर्ट ने साल 2005 में ही इस प्रथा पर रोक दी थी.
दूर-दराज के इलाकों में चौपदी की प्रथा इतनी ज्यादा पैठ बना चुकी है कि उसे मिटाना बेहद मुश्किल काम है. महिलाएं भी इस परंपरा को नापसंद करती हैं लेकिन, भगवान, समाज और अपने परिवार के डर से इस परंपरा को अपनाएं हुई है जिसके कारण उन्हें पीरियड्स में अछूत मान लिया जाता है और उन्हें परिवार से अलग रहने को मजबूर होना पड़ता है.