#MyFirstBlood कैंपेन की 11वीं कड़ी में आज पढ़िए वाराणसी की हाउसवाइफ रंजू सिंह के अनुभव. वे ‘मुहीम एक सार्थक’ संस्था की संस्थापक स्वाति सिंह की मां भी है. स्वाति लंबे समय से माहवारी के मुद्दे को उठा रही हैं. उन्हें खुशी है कि आज उनकी मां भी इस कैंपेन का हिस्सा बनी. रंजू सिंह बताती हैं कि First Time पीरियड हुआ तो मां ने कुछ नहीं बताया.
रंजू सिंह:
मुझे अच्छी तरह याद है जब First Time मेरा पीरियड शुरु हुआ तो मां ने इस पर मुझसे कोई बात नहीं की और न ही मुझे कुछ समझाया. स्कूल में मैंने सहेलियों से अक्सर इस बारे में कुछ न कुछ सुना था. तभी मुझे ये जानकारी हुई कि इस दौरान हमें कपड़ा लेना चाहिए और यह ठीक रहता है.
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पीरियड शुरु हुए तो सहेलियों की वह बात याद आ गई. मैंने भी यही किया. लेकिन मां को जब इस बात का आभास हुआ तो उन्होंने इसके बारे में मुझसे ये कहा कि देखो अब तुम ‘ अचार-पापड़ बिल्कुल मत छूना और न ही पूजा के किसी समान को छूना.’

ऐसा नहीं करने की मुझे सख्त हिदायत मिली और इस तरह बचपन मे पीरियड को लेकर मेरी समझ बस यहीं तक ही सिमट कर रह गयी. लेकिन आज बेहद खुशी होती है कि मेरी बेटी इस मुद्दे पर काम कर रही है. जिस बात को हम शर्म और झिझक का विषय मानते रहे और जिस पर मैं अपनी चुप्पी कभी नहीं तोड़ पायी मेरी बेटी इस पर दूसरों की चुप्पी तोड़ने का काम कर रही है.
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मुझे अपनी बेटी के काम पर गर्व है. अच्छा लग रहा है कि उसकी संस्था मुहीम, वुमनिया और लोक समिति मिलकर पीरियड पर लड़कियों की चुप्पी तोड़ने का काम कर रहे हैं. पीरियड पाबंदियों का नाम नहीं है बल्कि यह एक शारिरिक प्रक्रिया है जिस पर हर मां को अपनी बेटी के साथ खुल कर बात करनी चाहिए.
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