सुमन बाजपेयी
रीना इन दिनों बहुत चिड़चिड़ी रहने लगी थी. उसे कुछ भी अच्छा नहीं लगता था, जिसका असर उसके दांपत्य जीवन पर भी पड़ रहा था. उसका पति जब भी उसके करीब आने की कोशिश करता, वह झटक कर अलग हो जाती या सहवास के दौरान अनिच्छा से भागीदार बनती. वह समझ ही नहीं पा रही थी कि ऐसा उसके अंदर Hormone Imbalance की वजह से हो रहा है.
वह उन महिलाओं में से थी जो हार्मोंस की अनिवार्यता को समझती नहीं थीं. आखिरकार डॉक्टर की राय लेने पर जब उसके पति ने बात को समझा तो वह रीना के खान-पान पर ध्यान देने लगा और उसके बाद कुछ हद तक बिना दवाइयों के वह हार्मोंस को संतुलित करने में कामयाब हो गई.
डॉक्टर मानते हैं कि औरत की सेक्स लाइफ अपने आप में एक पहेली है. इसे शारीरिक, हार्मोनल, सामाजिक व मानसिक जैसे विभिन्न पहलूओं से निर्धारित किया जाता है. लडक़ी के जन्म के साथ ही उसके किशोरावस्था के लिए आवश्यक अंग बन जाते हैं, लेकिन वे सही समय आने पर ही काम करना शुरू करते हैं. हार्मोंस भी उसके युवा होने पर ही सक्रिय होते हैं.
जन्म के समय ही हार्मोंस तैयार हो जाते हैं पर वे सक्रिय नहीं होते और किशोरावस्था में हार्मोंस के स्तर में वृद्धि होने लगती है क्योंकि जरूरत के हिसाब से दिमाग इन्हें बनाने लगता है.
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एस्ट्रोजन हार्मोंस से योनि में चिकनाई व लचीलापन रहता है. टेस्टोसटेरोन उत्तेजना व इच्छा पैदा करते हैं. हाइपोथेलेमस कहे जाने वाला मस्तिष्क का एक हिस्सा प्रत्येक 90 मिनट में स्पंदन भेजता है.
यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण ग्रंथि जिसे पिट्यूटरी ग्लैंड कहा जाता है, उसको उत्प्रेरित करती है जो लडक़ी के अण्डाशय को उत्प्रेरित करती है ताकि वह हार्मोंस को बनाना आरंभ कर दे.
हार्मोंस सेक्स क्रिया के अनिवार्य हिस्से होते हैं. किशोरावस्था में एस्ट्रोजन स्तनों का विकास करता है व योनि, गर्भाशय व फेलोपियन ट्यूब को परिपक्व करने में मदद करता है. इसी की वजह से नितंब व जांघों पर वसा जमा होती है.
टेस्टोसटेरोन हार्मोंस सेक्स इच्छा में वृद्धि करते हैं. अण्डाशय जो सबसे महत्वपूर्ण हार्मोंन बनाता है वह है सेक्स स्टीरॉयड्स- एस्ट्रोजन व प्रोजेस्ट्रोन. अण्डाशय कम मात्रा में पुरुष हार्मोंन जिसे टेस्टोसटेरोन कहा जाता है भी बनाती है.
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हार्मोंस की वजह से पूर्व मासिक धर्म के लक्षण व रजोनिवृत्ति होती है. इनका असर सेक्स इच्छा पर पड़ता है और मेनोपॉज के दौरान औरत के अंदर सेक्स इच्छा घटने लगती है. ऐसा अन्य कारणों के साथ-साथ हार्मोंस में बदलाव या उनके कम या ज्यादा होने की वजह से भी होता है.
हार्मोंस के स्तर में आने वाला बदलाव योनि की चिकनाई (ल्यूब्रीकेशन)पर भी डालता है जिसकी वजह से सहवास दर्दनाक हो जाता है और औरत उस क्रिया से बचने की चेष्टा करती है.
हार्मोंस के स्तर का गिरना या उनमें किसी भी तरह से आया बदलाव सेक्स की इच्छा को कम करता है. बच्चे के जन्म के बाद या मेनोपॉज के समय भी सेक्स इच्छा पर फर्क पड़ता है.
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गर्भावस्था व स्तनपान कराने की वजह से औरतों के हार्मोंस के असर पड़ता है. एक स्वस्थ जीवन शैली स्वस्थ सेक्स जीवन की कुंजी है. सही ढंग से संतुलित व पोषक भोजन करना, पर्याप्त नींद लेने व तनाव मुक्त रहने से हार्मोंस संतुलित रहते हैं और सेक्स जीवन सुखद.
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