प्रतिभा ज्योति:
पर्यावरण प्रेमी, वैज्ञानिक, समाज सुधारक और ए के पी हीलिंग इंडिया की फाउंडर डॉक्टर अमित कौर पुरी ने जब 2020 तक देश भर में एक करोड़ पौधे लगाने के बारे में सोचा तो उनके साथ कोई नहीं था. लेकिन उन्होंने अपने जुनून से इस मूवमेंट में इसके लिए बिजनेसमैन, आईटी प्रोफेशनल्स, डॉक्टर्स, साइंटिस्ट, आर्टिस्ट, स्टूडेंट सभी को शामिल कर लिया है. पौधे लगाने के लिए वे प्रोजेक्ट तैयार करती हैं. इसमें लोगों को पौधे लगाने की ट्रेनिंग देती हैं. इससे पहले महाराष्ट्र सरकार ने इकोलॉजी को बैलेंस करने के लिए एक करोड़ पौधे लगाने के लिए उन्हें कंस्लटेंट के तौर पर नियुक्त किया था.
दूसरी तरफ वे महिलाओं के सश्क्तिकरण के लिए भी लगातार काम कर रही हैं. अमित कौर ने हरियाणा के मेवात में महिलाओं के हेल्थ पर रिसर्च करने के लिए ‘इंपैक्ट ऑफ एजुकेशनल पॉलिसीज ऑन सोशल इकॉनोमिक एंड हेल्थ स्टेट्स ऑफ वुमन इन मेवात’ प्रोजेक्ट पर काम किया. उनका कहना है कि इस दौरान मैंने पाया कि सभी पुरुषों के 2-3 पत्नियां है और सभी के आठ-दस बच्चे हैं. इन महिलाओं को किसी भी तरह के कंट्रासेप्टिव के इस्तेमाल की इजाजत नहीं थी. प्रोजेक्ट पर काम करने के दौरान महिलाओं से बातचीत करने से उन्हें रोका गया. उन्हें लगातार गंभीर धमिकयां दी गई कि वे महिलाओं के मामले में दखल न दें लेकिन वे डरीं नहीं और प्रोजेक्ट पूरा करने के साथ-साथ एक डॉक्यूमेंट्री भी तैयार कर ली. वे जल्दी ही इस डॉक्यूमेंट्री को पूरी दुनिया को दिखाना चाहती हैं.
बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय में बीएससी में टॉप करने के बाद अमित साइंटिस्ट बनने के बारे में सोच रही थीं लेकिन उसके पहले ही उनकी शादी हो गई, लेकिन कहते हैं न इरादा बुलंद हो तो कोई भी बात आगे बढ़ने से नहीं रोक सकती है. अमित ने भी घर और परिवार की जिम्मेदारियों को बहाना नहीं बनने दिया और अपनी पढ़ाई जारी रखी. एमएससी में भी टॉप किया. पीएचडी भी एक सफल साइंटिस्ट बन गई.
हालांकि इस राह में कई अड़चने भी आई. उनसे कहा गया कि अब पढ़ाई बहुत हो गई अब घऱ-परिवार की जिम्मेदारियां संभालें, लेकिन अमित ने हार नहीं मानी. इस चुनौती को स्वीकार किया और परिवार वालों को मना लिया. उन्हें याद है कि जब पीएचडी करने के बाद उनके नाम के आगे डॉ लगा तो सबसे ज्यादा खुश उनकी सास ही हुई थीं.
वे बताती हैं कि मैं उस दिन को कभी नहीं भूलतीं जब यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया के सोसाइटी ऑफ इथनो में बॉटनी में उनके शोध को सबसे ज्यादा प्रोत्साहन मिला था. उनके रिसर्च को सर्वश्रेष्ठ घोषित किया गया और देश का झंडा सभी देशों के झंडों से आगे लहराया गया था. वे अब बतौर साइंटिस्ट एपीजे यूनिवर्सिटी से जुड़ी हैं.
3E यानी पर्यावरण, शिक्षा और सशक्तिकरण के लिए कर रही हैं अमित ‘वुमन द अचीवर्स’ की हैं लेखिका भी हैं. अब तक उन्हें कई सम्मान मिल चुके हैं. वे बच्चों में पर्यावरण और हेल्थ के प्रति जागरुकता बढ़ान के लिए स्कूलों में बच्चों के लिए वर्कशॉप भी करती है.