कनिका, रायपुर:
गोरा रंग बनाने वाली क्रीम के टीवी पर चलते विज्ञापन ने उसके मन का स्वाद कसैला कर दिया. तकिए के पास रखे रिमोट से एक झटके में टीवी स्विच ऑफ कर दिया. विज्ञापन में लड़के वाले उसे देखने आने वाले थे और उसकी भाभी ने उसे वह गोरेपन की क्रीम दी ताकि उसका रंग और चेहरा दमक जाए.
उसका मन टीवी पर किसी प्रोग्राम देखने के बजाए कोई अच्छी सी फिल्म देखने का होने लगा. उसने अपनी मनपसंद फिल्म ‘दंगल’ देखना शुरु किया. लड़कियों को जीतते देखने में उसे अच्छा लगता था, सिर्फ़ मुकाबलों में ही नहीं, छोटे-बड़े इम्तिहानों में भी. अखबार में छपे बोर्ड के रिजल्ट में टॉप पर आई लड़कियों के फोटो देखकर, आईएएस और आईपीएस की परीक्षों में सबसे ऊपर पहुंचने वाली लड़कियों के नाम देखकर. उसे लगता कि वो जीत रही है. किसी भी लड़की की जीत उसे अपनी जीत लगती. उसने भी यूनिवर्सिटी में टॉप किया था, फिर पीएचडी भी की और लेक्चरार की नौकरी भी मिल गई.
हरेक हिन्दुस्तानी घर की तरह उस पर मां-पिताजी का दबाव बढ़ रहा था शादी करने के लिए, उस दिन उसकी सगाई हो रही थी. मां पिताजी ने अपनी हैसियत से ज़्यादा बड़े वाले होटल में हॉल में सगाई की रस्म रखी थी क्योंकि लड़के वालों का बड़ा बिजनेस था शायद, हालांकि लड़का ज़्यादा पढ़ा लिखा नहीं था. ग्रेजुएशन भी पूरा नहीं हो पाया था, लेकिन मां का कहना था कि पढ़ाई लिखाई लड़कों के काम नहीं आती, इतना पैसा कमा रहा है और क्या चाहिए?
सगाई से पहले ही उसकी छोटी ननद और भाभी घर आकर यह साफ बता गई थी कि उनकी मां को गोरे रंग की बहू पसंद है और पिताजी की तो खास ज़िद है क्योंकि बहू अगर सांवली हुई तो फिर उनके होने वाले बच्चे के रंग पर भी असर पड़ेगा. बड़ी बहू भी गोरी चिट्टी थी और ननद का रंग भी साफ था, लेकिन लड़के को पता नहीं क्यों वो भा गई एक ही बार में और उसने ना केवल हां कर दी, बल्कि ज़िद भी कर ली. वह खुश थी कि कम से कम उसके होने वाले पति को तो उसके रंग को लेकर कोई परेशानी नहीं है.
अंगूठी पहनाई जा चुकी थी. ज़्यादातर लोग डांस फ्लोर पर मस्ती कर रहे थे तो बहुत से लोग डिनर के लिए अपनी प्लेट पकड़े हुए थे. होने वाली सास ने उसके पास बैठते हुए कहा, सुना तुम बड़े अच्छे कॉलेज में लेक्चरार हो, लेकिन बेटा अब शादी के दिन करीब है तो थोड़ा अपने रंग पर ध्यान दे लो, घर पर केसर मलाई से उबटन तो करना ही, हर हफ्ते पार्लर जाना क्योंकि विलक्षण के पापा को गोरा रंग ही चाहिए और मुझे भी. वो चुप रही.
साथ आई विलक्षण की भाभी रंग साफ करने के लिए दसियों तरीके बताने लगी.-देवर जी को गोरी-चिटटी लड़कियां पसंद हैं, मेरे जैसी और खिलखिला कर हंस पड़ी. वे हंसी और बनारसी साड़ी का आंचल खिसका तो ब्लाउज में फंसा उनका यौवन बाहर निकलने को उतावला दिखा, लेकिन वह बेहयायी से हंसती रहीं, शायद ये बताने के लिए भी उनके पास क्या खज़ाना है.
शादी के दिन नज़दीक आने के साथ साथ ससुराल से हिदायतों के फोन का नंबर बढ़ने लगा, मानो हर कोई ब्यूटी एक्सपर्ट है और वह शादी के बाद अपने ससुराल नहीं किसी ब्यूटी कान्टेस्ट में जा रही है. उसका होने वाला पति भी अब जब फोन करता बात घूम फिर कर उसके रंग पर आ जाती. यूं तो हर बार कहता कि मुझे तो तुम पसंद हो, लेकिन मां पिताजी कुछ ज़्यादा ही सेंससिटिव हैं गोरेपन को लेकर, सो अपना ध्यान रखना.
वह हर बार जवाब देना तो चाहती लेकिन मम्मी को ध्यान में रखते हुए चुप रह जाती. बाद में अपना गुस्सा मम्मी पर निकालती तो मम्मी कहती, “अरे इतने बड़े घर में रिश्ता हो रहा है,कितने पैसे वाले लोग हैं वे, हम तो सिर्फ मिडिल क्लास लोग हैं. लेक्चरार हो गई तू तो क्या कुछ और कह नहीं सकता तुझे . तू तो खुद को क़िस्मत वाली समझ कि ऐसे रंग-रूप के बाद भी उन्होंने तुम्हें पसंद कर लिया, हमारे तो भाग्य ही खुल गए हैं. वो जबलपुर वाली मौसी तो इसी बात से चिढ़ी बैठी हैं कि वो अपनी बेटी का रिश्ता वहां करना चाहती थीं.
मां की बातें सुनकर वह चुप रह जाती. उसे लगता कि शायद वक्त के साथ सब ठीक हो जाएगा क्योंकि उसका होने वाला पति ऐसी सोच नहीं रखता. शादी के दिन नज़दीक आने के साथ साथ ससुराल वालों का दबाव बढ़ने लगा कि उनकी बहू का रंग रूप निखरना चाहिए. अब विलक्षण भी मां और भाभी के बहाने से फोन पर उसे कह देता कि इसमें बुराई क्या है, सुंदर तो तुम ही लगोगी शादी के मंडप में. अब उसका गुस्सा बढ़ने लगा था.
शादी से कुछ दिन पहले ससुराल में बैचलर पार्टी का आयोजन किया गया था, उसमें उसे भी बुलाया गया. विलक्षण की भाभी का फोन सवेरे ही आ गया कि अच्छे पार्लर में चली जाना, कोई गड़बड़ नहीं हो, जब वह पार्लर में थी तब सासू मां ने एक बार और हिदायत दे दी. अब उसका सब्र जवाब देने लगा था कि तभी विलक्षण का फोन उसके मोबाइल पर आ गया मेकअप को लेकर. मम्मी ने मौसी की बेटी को भी साथ भेजा था पार्लर. चार घंटे के मेकअप और नई ड्रेस के बाद जैसे वह विलक्षण के घर पहुंची को स्वागत के बजाय होने वाली सास ने हाथ खींच कर पीछे कर दिया और गुस्से में बड़ी बहू के बुला कर कहा कि, इसको अंदर ले जाओ और ठीक से मेकअप वगैरहा करो. यह तो हमारी नाक ही कटवा देगी. मां की तेज़ आवाज़ सुनकर विलक्षण भी वहां पहुंच गया था, लेकिन कुछ बोला नहीं .
उसने भाभी से अपना हाथ छुड़ा लिया और अंदर नहीं गई. इससे तो उसकी होने वाली सास का पारा आसमान तक पहुंच गया और बोली कि हमने तो ऐसे घर में रिश्ता जोड़ कर ही गलती कर दी. न रंग न रुप और महारानी के तेवर देखो, इसके आने से तो हमारी अगली पीढ़ी बर्बाद हो जाएगी.
छोटी ननद और भाभी हंस रही थी, तमाशबीन से मेहमान थे और चुप्पी साधे विलक्षण. जब विलक्षण ने उसका हाथ पकड़ने की कोशिश की तो उसने हाथ छुड़ा लिया और बोली मां जी हमारे घर में रंग रूप और पैसा भले ही नहीं हो, लेकिन संस्कार है. मेरी मां और पिताजी ने संस्कार भी दिए और काबिल भी बनाया. मैं जैसी हूं वैसी रहूंगी. मुझे मेकअप वाला बनावटी रंग-रुप नहीं चाहिए.उसने विलक्षण की ओर देखा और कहा कि वक्त पर पता चल गया कि उसका होने वाला शौहर अपने सामने अपनी बीवी को इन्सल्ट होते देख सकता है, लेकिन कुछ बोल नहीं सकता क्योंकि वो काबिल नहीं है. पापा के पैसे से रईस है. उसे ऐसा पति नहीं चाहिए यह कहते हुए वो तेज़ी से निकल पड़ी. पार्टी में डांस फ्लोर के हंगामे में उसके मन के भीतर का शोर कहीं दब गया, लेकिन उसका जवाब विलक्षण के चेहरे पर तमाचा मार गई. वो बेहद हल्का महसूस कर रही थी. किसी भी नतीजे से बेहपरवाह.