बेला, मुंबई:
रह-रह कर वही बात दिमाग में घूम रही थी, आखिर वो ऐसा कैसे कर पाई? संडे की दोपहर थोड़ा रिलैक्स होने के लिए टीवी ऑन किया और फ़िल्मी चैनल को रिमोट से सर्फ करने लगी तो अचानक रिमोट पर अंगुलियां रुक सी गई. संजय दत्त की हिट फ़िल्म लगे रहो मुन्ना भाई की ट्रेलर आ रही थी ..बुज़ुर्ग अंकल रिश्वत देने के लिए सरकारी बाबू के आगे अपने कपड़े एक एक करके उतार रहे थे. दिसम्बर की सर्द दोपहर में भी मानो बदन पर पसीना सा महसूस हुआ. धड़कन एकदम तेज़ हो गई. दुपट्टे से चेहरे को पोंछने से पहले तेज़ी से चैनल बदल दिया.

तकिए के सहारे अधलेटी सी हो गई, लेकिन एकदम बेचैन. करवट बदलती सी कार्डिगन को उतारा तो कुर्ते के नीचे पसीने की बूंदें सरसराई. ब्रा नहीं पहन रखी थी सो कुर्ता थोड़ा सा चिपक गया. सहेलियां अक्सर मज़ाक में कहा करती थीं कि तुम्हारे वो तो पागल हो जाएंगें इन्हें देख कर, या फिर किसी को भी दीवाना बना दोग., थोड़ा सा संभाल कर चला करो. लेकिन मैं अपने किस्म की बेपरवाह मर्दों की नज़रों को महसूस तो करती, लेकिन वो चुभती नहीं थीं. कॉलेज से निकल कर जब मल्टीनेशनल कंपनी में जॉब मिली तो बहुत खुश थी. अक्सर सोचा करती थी कि सरकारी नौकरी ना लगे, सरकारी बाबूओं के लिजलिजेपन से बहुत उकताहट लगती थी. अक्सर सुना था रिटायर होने की उमर तक वे अभी-अभी नौकरी में आने वाली लड़कियों को ऐसे देखते कि बदन उनकी निगाहों से ही छलनी हो जाता और तमाम कपड़ों और ड्रेस के बावजूद खुद को नंगा सा महसूस करती.
दिल्ली से सटे गुड़गांव के प़ॉश इलाके में चमचमाते ग्लास से बने आलीशान दफ़्तर में जब उसने काम शुरु किया तो उसे अंदाजा नहीं था, यहां भी कुछ ऐसा ही होने वाला है. दफ्तर में वो बहुत जल्द सबकी चहेती बन गई थी. खासतौर से उसकी अंग्रेज़ी भाषा पर पकड़ और काम की तेज़ रफ़्तार से हर कोई उसका फैन सा हो गया. उसका ड्रैसिंग सेंस लड़कों को तो आकर्षित करता ही लेकिन लड़कियां बहुत जलन महसूस करतीं, मगर वो हमेशा की तरह बेपरवाह इठलाती सी घूमती और तेज़ रफ्तार से अपनमा ही नहीं दूसरों के काम में भी मदद करतीं. उसे लगा कि बॉस भी उसे शायद इसी वजह से पसंद करते हैं. हर घंटे, दो घंटों में वे किसी ना किसी बहाने उसे बुला लेते और बातें करते.
थोड़े दिनों में ही उसे समझ में आ गया कि बॉस की निगाहें उसके काम पर नहीं कुर्ते के भीतर झांकती रहती हैं. अक्सर अपने लैपटॉप पर कुछ दिखाने के बहाने वे उसे अपनी तरफ बुला लेते और उसके करीब होने की कोशिश करते. कई बार उसे महसूस हुआ कि बॉस के हाथ उसके उभारों को छूने का बहाना ढूंढ़ ही लेते हैं. कभी पीछे उनकी छुअन महसूस होती. उसने बिलकुल लिफ्ट नहीं दी थी, लेकिन वह कुछ कह भी नहीं पा रही थी. टालने या रोकने के उसके अंदाज़ का भी उन पर कोई असर नहीं हो रहा था और उनकी इमेज एक शरीफ भले बॉस जैसी थी.
मल्टीप्लैक्स में लगी संजय दत्त की फ़िल्म लगे रहो मुन्ना भाई की बहुत चर्चा हो रही थी तो उस संडे वह अपनी आफिस में सबसे करीब रही दोस्त शबाना के साथ मूवी देखने चली गई, दोनों ने बहुत एंजाय भी किया लेकिन उसके दिमाग के किसी कोने में उस फ़िल्म का वह सीन उतर गया कि अंकल किस तरह अपने कपड़े उतार कर उस बाबू को रिश्वत देने का इंतज़ाम कर रहे थे.
अगले दिन सोमवार को अपनी फाइल निपटा ही रही थी कि इंटरकाम पर बॉस का फोन आ गया तुरंत केबिन में आने के लिए. जैसे ही दरवाज़ा खोला तो बॉस की निगाहें उसके चेहरे से करीब एक फीट नीचे भेदती हुई सी अटक गई. बेशर्म सी हंसी के साथ उन्होंनें कहा आओ फिर अपनी सीट के पीछे वाली आलमारी से कोई फाइल निकालने को कहा. वह जैसे ही पीछे मुड़ी कि उनकी टच उसके निचले उभारों पर महसूस हुआ. तेज़ी से पलटी तो बॉस चौंके तो सही मगर फिर बेशर्म से हंसी और उनकी आंखें भेदने लगी.
अचानक न जाने उसे क्या सूझा? उसने ज़ोर से कहा सर देख लीजिए ठीक से. यह कहते हुए उसने अपना टॉप उठाने का जतन किया तो वे हड़बड़ा गए.. बोले ये क्या है ,क्या कर रही हो? उसने आवाज़ ऊंची करते हुए कहा ठीक से देख लीजिए.. आप रोज़ाना परेशान होते हैं. आपकी बीवी जैसे ही होंगें थोड़ा साइज कम या ज्यादा होगा. उसकी तेज़ आवाज़ सुन कर आफिस के बहुत से लोग अंदर तक आ गए. वह बड़बड़ाए जा रही थी बदहवास सी, पगलायी सी.. देख लीजिए एक बार ठीक से देख लीजिए आपको मज़ा आ जाएगा ..आपको अपनी मर्दानगी का वास्ता. बॉस चिल्लाए-क्या ड्रामा कर रही हो, तुम्हारा प्रमोशन नहीं हुआ तो ऐसे बदनाम करोगी मुझे लेकिन तब तक सबको सब माजरा समझ आ गया था. बॉस से किसी ने कुछ कहने की हिम्मत नहीं दिखाई..सब चुपचाप चले गए.
वह तेज़ी से केबिन से निकली और अपनी सीट से पर्स उठाकर दफ्तर से बाहर निकल गई, कभी उस दफ्तर में फिर से नहीं आने के लिए. बॉस से ज़्यादा घिन अपने साथ काम करने वालों पर आ रही थी. सबके सब नामर्द साले..एक मर्दानी गाली मुंह पर आते आते रह गई. थोड़े दिन बाद पता चला कि बॉस को सस्पेंड कर दिया गया है, लेकिन वह अब तक दूसरी नौकरी तलाश रही थी