प्रतिभा ज्योति:
शादी के बाद हनीमून पर विदेश जाने के लिए पासपोर्ट में आप अपना सरनेम बदलने को लेकर परेशान रहती हैं क्या? प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने यह ऐलान किया कि अब महिलाओं को पासपोर्ट के लिए अपना सरनेम बदलने की ज़रुरत नहीं पड़ेगी. प्रधानमंत्री के इस ऐलान को एक और महिला समर्थक कदम बताया जा रहा है.
प्रधानमंत्री ने मुंबई में इंडियन मर्चेंट चेंबर की लेडीज विंग को जब दिल्ली से वीडियो कान्फ्रेंसिग से सम्बोधित किया तो मोदी ने कहा कि अब औरतों को शादी के बाद पासपोर्ट में सरनेम या नाम बदलने की ज़रुत नहीं होगी. प्रधानमंत्री ने कहा कि केन्द्र सरकार की सभी विकास योजनाओं का केन्द्र घर की औरत को रखा गया है चाहे वह उज्जवला योजना हो या फिर मातृत्व अवकाश कानून में बदलाव. मोदी ने यह भी कहा कि जब भी महिलाओं को एंटरप्रन्योर होने का मौका मिलता है वे इसमें अपनी ताकत का अहसास पुरुषों को कराती हैं और सफल होती हैं.
पासपोर्ट पर शादी के बाद नाम बदलने को लेकर हकीकत यह है कि इसकी ज़रुरत पहले भी नहीं पड़ती थी. महिलाएं चाहे तो शादी के बाद बी उसी सरनेम या नाम का इस्तेमाल कर सकती हैं और पिता या माता का नाम लिखा जा सकता था .शादी के बाद जब वे स्टेट्स बदलने य़ानी विवाहित लिखने के लिए आवेदन करती हैं तब उन्हें सिर्फ़ पति का नाम वहां लिखने की ज़रुरत है, इसमें भी अपना सरनेम बदलना ज़रुरी नहीं है. इसके अलावा यदि छोटे बच्चे का नाम पासपोर्ट में जोड़ना है तब भी उसमें सिर्फ़ पति का नाम जोड़ने की ज़रुरत पड़ती हैं. यदि महिला तलाक भी ले ले तब भी वह चाहे उस सरनेम के साथ अपनी पहचान या नाम को बरकरार रख सकती है. शादी के बाद अक्सर महिलाओं को पुरुष मानसिकता के दबाव में अपना सरनेम बदलना पड़ता है.
यह ठीक है कि यह सरकार अपनी कई योजनाओं में महिलाओं को तवज्जो दे रही है लेकिन महिलाओं को ताकत देने के जिस बात पर सबसे ज्यादा ध्यान देना चाहिए वह है महिला आरक्षण बिल को पास करवाना, क्योंकि भाजपा के पास पास लोकसबा में स्पष्ट बहुमत है और कई राज्यों में उनकी सरकार बनने के बाद राज्यसभा में भी वे ताकतवर पार्टी रहेगी. महिला संगठनों और राजनीतिक दलों को भी इस पर दबाव बनाने के लिए फिर से अभियान को तेज़ करने की ज़रुरत है.