एक ज़माने पहले मशहूर लेखिका इस्मत चुगताई ने एक कहानी लिखी थी लिहाफ़. दो औरतों के बीच जिस्मानी रिश्तों यानी लेस्बियन रिलेशनशिप के इर्द गिर्द घूमती इस कहानी को लेकर काफी विवाद हुआ था.तब से अब तक दुनिया तेज़ रफ्तार से आगे बढ़ रही है लेकिन लगता है पाकिस्तान में अभी तक लिहाफ़ का ख़ौफ़ बरकरार है और वहां अब भी समझा जाता है कि ना केवल मर्द और औरत बल्कि लड़कियों को भी सोते वक्त दूरी बना कर रखनी चाहिए वरना गड़बड़ हो सकती है, हालांकि इस फरमान के खिलाफ़ अब वहां सोशल मीडिया पर आवाज़ें उठने लगी हैं .
पाकिस्तान की एक पुरानी मशहूर यूनिवर्सिटी ने हॉस्टल्स में रहने वाली लड़कियों के लिए एक फरमान जारी किया है. 37 साल पुरानी इंटरनेशनल इस्लामिक यूनिवर्सिटी के प्रशासन ने वहां रहने वाली लड़कियों के बेड शेयर करने पर रोक लगा दी है. लड़कियों से यह भी कहा गया है कि वे अपने बेड के बीच कम से कम 2 फीट की दूरी रखें.
न्यूज एजेंसी की रिपोर्ट के मुताबिक यूनिवर्सिटी ने एक नोटिफिकेशन जारी करके कहा है कि अगर कोई लड़की अपने दोस्तों या बहनों के साथ बेड शेयर करते पाई गई तो उस पर भारी जुर्माना लगाया जाएगा. नोटिफिकेशन में एक ही कंबल या चादर ओढ़कर बैठने या सोने या एक ही बेड पर बैठने को भी ‘बेड शेयरिंग’ माना गया है. यूनिवर्सिटी में लड़कियों के लिए 7 हॉस्टल ब्लॉक हैं, इनमें करीब 2500 स्टूडेंट्स के रहने का इंतज़ाम है.
नोटिफिकेशन के बाद पाकिस्तान में सोशल मीडिया पर इस बात पर बहस छिड़ गई है कि यह फरमान खासतौर पर गर्ल्स हॉस्टल्स के लिए क्यों जारी किया गया है? जबकि सच्चाई यह है कि कई स्टूडेंट्स यूनिवर्सिटी के लड़कों के हॉस्टल्स में गैरकानूनी तरीके से रह रहे हैं. वहीं यूनिवर्सिटी प्रशासन ने अपनी सफाई में कहा है कि जांच के दौरान ऐसा पाया गया था कि कुछ लड़कियां अपने नाम पर अलॉट बेड पर अपने रिश्तेदारों और दोस्तों को सुला रही थीं, इसलिए इस पर काबू पाने के लिए ये कदम उठाया गया है. इसमें लड़कियों के आपसी जिस्मानी रिश्तों जैसी कोई बात नहीं है, यह सीधा सा प्रशासनिक मसला है. बहरहाल, ऐसा माना जा रहा है कि इस नोटिफिकेशन का असल मकसद स्पेस मैनेजमेंट और एडमिनिस्ट्रेटिव मुद्दों को हल करना है, लेकिन जिस तरह से नोटिफिकेशन में जेंडर स्पेस्फिक लैंग्वेज का इस्तेमाल किया गया है, उस पर विवाद खड़ा होना लाज़िमी है.