
क्या Aadhar Card जीने के लिए अनिवार्य आधार बन रहा है? गुड़गांव के एक सिविल अस्पताल ने दर्द से लेबर पेन से तड़पती एक महिला को इसलिए एडमिट नहीं किया क्योंकि उसके पति के पास आधार कार्ड नहीं था. महिला दो घंटे तक दर्द से तड़पती रही.
उसकी हालत देखकर कुछ महिलाएं आगे आईं और चादर का पर्दा बनाकर उस महिला की डिलेवरी कराई. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक उस महिला के पति बबलू ने बताया है कि उसकी पत्नी मुन्नी लेबर पेन में थी. शुक्रवार को वह 10 बजे पत्नी को एडमिट कराने के लिए गुड़गांव के सिविल अस्पताल पहुंचा
अस्पताल में उसे आधार कार्ड जमा कराने को कहा गया. उसने कहा कि उसके पास आधार का नंबर है कार्ड नहीं है. आधार कार्ड लाने की कोशिश में वह जब 12 बजे आया पत्नी दर्द से तड़प रही थी. वे घर जाने लगे तो दर्द से कराहती पत्नी अस्पताल के गेट पर ही बैठ गई और कुछ महिलाओं ने उसकी डिलेवरी कराई.
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आधे घंटे बाद डॉक्टर और नर्स आए और मां और बच्चे को अस्पताल में ए़डमिट किया गया. बबलू का कहना है कि सोचता हूं एक आधार कार्ड आज जिंदगी से बड़ा हो गया क्या?
माना जा रहा है कि अस्पतालों का यह रवैया नीति आयोग के उस सुझाव के बाद शुरु हुआ है जिसमें राज्य सरकारों को सुझाव दिया गया था कि अस्पतालों की ओपीडी को आधार से लिंक किया जाए. हरियाणा समेत कुछ राज्यों ने ओपीडी में रजिस्ट्रेशन के लिए आधार को अनिवार्य कर दिया है लेकिन इमरजेंसी में भी आधार कार्ड मांगा जा रहा है.
ऐसी ही एक घटना जनवरी 2018 में उत्तर प्रदेश के जौनपुर में हुई थी. लेबर पेन से तड़पती एक महिला को आधार कार्ड नहीं होने की वजह से अस्पताल में भर्ती करने से इंकार कर दिया गया था. महिला ने सड़क पर ही बच्चे को जन्म दिया.
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हालांकि नीति आयोग का कहना है कि हमने केवल यह सुझाव दिया था, इलाज के लिए आधार अनिवार्य करने के लिए नहीं कहा गया था. स्वास्थय मंत्री जे पी नड्डा ने इस मामले पर कह ाहै कि राज्य सरकार को कार्रवाई करने के लिए कहा गया है.
वहीं हरियाणा के स्वास्थ मंत्री अनिल विज का कहना है कि अस्पतालों को निर्देश जारी किए गए हैं कि आधार की वजह से किसी का इलाज नहीं रोका जाए.
दरअसल धीरे-धीरे सभी सरकारी योजनाओं में आधार को अनिवार्य किया जा रहा है. अभी तक 139 जरुरी सेवाओं को आधार से लिंक करने की अंतिम तारीख 31 मार्च रखी गई है. जिसकी वजह से आम आदमी को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.
राशन के लिए इसे अनिवार्य किए जाने के कारण देश के अलग-अलग हिस्सों से कई लोगों को राशन नहीं दिए जाने की शिकायतें आ रही है. सितंबर 2017 में झारखंड के सिमडेगा में संतोषी नाम की एक महिला के पास आधार कार्ड नहीं होने से राशन नहीं मिला और कथित तौर पर इस वजह से उसके 10 साल की बच्ची की मौत हो गई.
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